मानव सभ्यता नदियों के किनारे जन्मी है , पली है और बढ़ी है पानी के बगैर हम रह नहीं सकते हैं । विश्व में बड़े - बड़े शहर और आबादी समुद्र के किनारे है या नदियों के किनारे पर स्तिथ है । कभी भी जल के श्रोत्रों को कोई गन्दा नहीं करता था लेकिन जब पूँजीवाद ने अपने विचारों के तहत मुनाफा को जीवन दर्शन बना दिया है , तब से हर चीज बिकाऊ हो गयी है जल श्रोत्रों को भी गन्दा करने का काम उद्योगपतियों, इजारेदार पूंजीपतियों ने मुनाफे में अत्यधिक वृद्धि के लिए गन्दा कर दिया है । हमारा जनपद बाराबंकी जमुरिया नदी के किनारे पर था और अब जमुरिया नाले के किनारे है । जनपद मुख्यालय के पास एक शुगर मिल स्थापित होती है जिसका सारा गन्दा पानी जमुरिया में गिरना शुरू होता है और फिर तीन और कारखाने लगते हैं जिनका सारा कूड़ा - कचरा जमुरिया में गिरकर नाले में तब्दील कर दिया है । नगर नियोजकों ने जो पूंजीवादी मानसिकता से ग्रसित हैं । उन लोगो ने शहर के सम्पूर्ण गंदे पानी