नव वर्ष पर नवगीत संजीव 'सलिल' महाकाल के महाग्रंथ का नया पृष्ठ फिर आज खुल रहा.... * वह काटोगे, जो बोया है. वह पाओगे, जो खोया है. सत्य-असत, शुभ-अशुभ तुला पर कर्म-मर्म सब आज तुल रहा.... * खुद अपना मूल्यांकन कर लो. निज मन का छायांकन कर लो. तम-उजास को जोड़ सके जो कहीं बनाया कोई पुल रहा?... * तुमने कितने बाग़ लगाये? श्रम-सीकर कब-कहाँ बहाए? स्नेह-सलिल कब सींचा? बगिया में आभारी कौन गुल रहा?... * स्नेह-साधना करी 'सलिल' कब. दीन-हीन में दिखे कभी रब? चित्रगुप्त की कर्म-तुला पर खरा कौन सा कर्म तुल रहा?... * खाली हाथ? न रो-पछताओ. कंकर से शंकर बन जाओ. ज़हर पियो, हँस अमृत बाँटो. देखोगे मन मलिन धुल रहा... ********************** http://divyanarmada.blogspot.com