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Showing posts from January 4, 2011

भविष्य का सम्बन्ध वर्तमान से

   इतिहास गवाह है इन्सान ने जब भी किसी विपदा ( विपत्ति ) का सामना अगर किया है तो उसका जिम्मेदार वो खुद होता है ! उसी के  द्वारा की हुई गलती का भुगतान वो बाद मै करता है ! क्युकी जब हम कोई भी फ़ेसला लेते हैं तो हमे सिर्फ वर्तमान का ही सुख दिखता है और उसी  ख़ुशी का भुगतान हमे भविष्य मै  दर्द सह कर देना होता है ! चलो आज हम इतिहास के कुच्छ एसे ही वाकये पर नज़र डालते हैं जिससे सारी दुनियां अच्छे से परिचित है ! अब रामायण को ही ले लेते हैं कोंन नहीं जानता रामायण को , इनके किरदारों को मेरे ख्याल से इसकी पहचान बहुत से  लोगों को है ! ये हमारे देश का बहुत पावन  ग्रन्थ है ! हम इसे पड़ते हैं इसकी पूजा करते हैं और दशहरे के दिनों मै हर घर मै इसकी चर्चा सुनी जा सकती है ! रामायण हमे इन्सान के हर रूप से पहचान करवाने का मोका देती है ! की किस तरह चाल  चल के केकई ने राम को बनवास दिया इससे उसकी चालाकी का पता चलता है फिर चोरों भाइयो का एक दुसरे के प्रति समर्पण , सीता का पति के लिए त्याग , पिता का बेटे के प्रति प्यार , रावन का लालच आदि ! रामायण मै  इन्सान के हर चरित्र का   चित्रण बखूबी से  दिखाया गया है ! हमार

पुराने भूले बिसरे देश भक्ति के गीत...स्व-जगन्नाथ प्र.गुप्ता....

कुछ पुराने भूले - बिसरे देश भक्ति के गीत - गायक --- स्व जगन्नाथ प्रसाद गुप्त ----- ---- पुराने कागज़ खंगालते हुए मुझे अपने पूज्य पिताजी स्व . जगन्नाथ प्रसाद गुप्त जी का एक पुराना कापी का पेज मिला जिसपर स्वतन्त्रता आन्दोलन के समय का उनका लिखा हुआ बहुत पुराना गीत लिखा था , जिसे पिताजी सदा गुनुगुनाया करते थे | यह गीत वे स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों व आज़ादी के दीवानों के साथ टोलियों में जा - जाकर सारे गाँव में गाया करते थे , प्रभात व सांध्य फेरी के साथ आज़ादी की अलख जगाते हुए --- प्रस्तुत है उनमें लिखे ये गीत ....... गीत १ - ( गीत स १२ )--- अधूरा .... जब गुरु गोविन्द ने यह देखा धर्म की होरही हानी ,.... हाँ हानी .. कूद पड़े सेना लेकरके धर्म पै बलि बलि जावो। ..... बलि बलि जावो .. देखो झांसी वाली नी भी कैसी तेग चलाई ,.... हाँ कैसी तेग चलाई ... मार गिरावो शत्रु सारे देश की लाज बचावो। ... लाज बचावो ... धर्म पै प्राण न्योछावर करदिये गुरु गोविन्द