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Showing posts from June 6, 2014

chhand salila: geetika chhand -sanjiv

छंद  सलिला:  गीतिका छंद  संजीव  * छंद लक्षण: प्रति पद २६ मात्रा, यति १४-१२, पदांत लघु गुरु  लक्षण छंद:      लोक-राशि गति-यति भू-नभ , साथ-साथ ही रहते      लघु-गुरु गहकर हाथ- अंत , गीतिका छंद कहते  उदाहरण: ​​ १. चौपालों में सूनापन , खेत-मेड में झगड़े      उनकी जय-जय होती जो , धन-बल में हैं तगड़े      खोट न अपनी देखें , बतला थका आइना      कोई फर्क नहीं पड़ता ,  अगड़े हों या पिछड़े २.  आइए, फरमाइए भी , ह्रदय में जो बात है            ​ ​ क्या पता कल जीत किसकी , और किसकी मात है        ​ ​ झेलिये धीरज धरे रह , मौन जो हालात है        ​ ​ एक सा रहता समय कब ​?​  , रात लाती प्रात है ​३. ​सियासत ने कर दिया है , विरासत से दूर क्यों?     हिमाकत ने कर दिया है , अजाने मजबूर यों     विपक्षी परदेशियों से , अधिक लगते दूर हैं      दलों की दलदल न दल दे, आँख रहते सूर हैं   Sanjiv verma 'Salil' salil.sanjiv@gmail.com http://divyanarmada.blogspot.in facebook: sahiyta salila / sanjiv verma 'salil'