छंद सलिला: गीतिका छंद संजीव * छंद लक्षण: प्रति पद २६ मात्रा, यति १४-१२, पदांत लघु गुरु लक्षण छंद: लोक-राशि गति-यति भू-नभ , साथ-साथ ही रहते लघु-गुरु गहकर हाथ- अंत , गीतिका छंद कहते उदाहरण: १. चौपालों में सूनापन , खेत-मेड में झगड़े उनकी जय-जय होती जो , धन-बल में हैं तगड़े खोट न अपनी देखें , बतला थका आइना कोई फर्क नहीं पड़ता , अगड़े हों या पिछड़े २. आइए, फरमाइए भी , ह्रदय में जो बात है क्या पता कल जीत किसकी , और किसकी मात है झेलिये धीरज धरे रह , मौन जो हालात है एक सा रहता समय कब ? , रात लाती प्रात है ३. सियासत ने कर दिया है , विरासत से दूर क्यों? हिमाकत ने कर दिया है , अजाने मजबूर यों विपक्षी परदेशियों से , अधिक लगते दूर हैं दलों की दलदल न दल दे, आँख रहते सूर हैं Sanjiv verma 'Salil' salil.sanjiv@gmail.com http://divyanarmada.blogspot.in facebook: sahiyta salila / sanjiv verma 'salil'