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Showing posts from August 6, 2009

प्रीतम की प्रीत..

हर किसी के दिल के अन्दर॥ प्रियतम की कूक सुनाई देती॥ हर किसी के आँखों में ढल के॥ प्रियतम की प्रीत दिखाई देती॥ सुहाना लगता है सफर ॥ जब सांझ को साजन मिले॥ चेहरे से चेहरा को देखे॥ होठो में मुस्कान लिए॥ उनकी बोली से मोती निकले॥ मीठी बातें हंसे देती॥ हर किसी के आँखों में ढल के॥प्रियतम की प्रीत दिखाई देती॥ झिर-झिर पवन हिलोरे॥ सावन रिम-झिम हस हस बोले॥ चिडिया चूचू गीत सुनावत॥ मन की बगिया आनंद लुटावत॥ अकेले मिल कर धीरे से हंस कर॥ मन की बातिया बाते देती॥ हर किसी के आँखों में ढल के॥प्रियतम की प्रीत दिखाई देती॥

तेरी दीवानी..

हे साजन तेरे सुहाग में॥ कैसा क्या हूर है॥ जिससे सवार कर मई॥ तेरी दीवानी हो गई॥ तेरी बंदगी को याद कर॥ मई तेरी रानी बन गई॥ तेरे जीवन की प्राण प्रिये॥ राज धानी हो गई॥ जिसमे मचल कर जान मेरी॥ तुम बगिया सजाओ गे॥ उस नव युग की शान के लिए॥ एक नया घर बनाओ गे॥ ऐसी चली बया जो ॥ न जाने कब जवानी चढ़ गई... हे साजन तेरे सुहाग में॥ कैसा क्या हूर है॥ जिससे सवार कर मई॥ तेरी दीवानी हो गई॥ तेरी बंदगी को याद कर॥ मई तेरी रानी बन गई॥ तेरे जीवन की प्राण प्रिये॥ राज धानी हो गई॥