Skip to main content

Posts

Showing posts from July 13, 2010

पंडित पॉल’ चंद दिनों के मेहमान !

    www.bhaskar.com जर्मनी। फुटबॉल वर्ल्ड कप के दौरान अनपी सटीक भविष्यवाणियों से सबके चहेते बन चुके ‘पंडित पॉल’ अब ज्यादा दिनों के मेहमान नहीं हैं। जी हां, ये जानकर चौकिए मत। फुटबॉल वर्ल्ड कप के दौरान दूसरों का भविष्य बताने वाले पॉल ऑक्टोपस का भविष्य संकट में है। उनके भविष्य को खतरा किसी डच फुटबॉल प्रेमी की वजह से नहीं है। और न ही कोई जर्मन प्रशंसक उनसे अपनी टीम को सेमीफाइनल में मिली हार का बदला लेना चाहता है।दरअसल एक ऑक्टोपस की उम्र सीमा औसतन 3 साल की होती है। और पॉल ढाई साल हो चुके हैं। अगर पॉल खुशकिस्मत रहे तो ‘सी लाइफ’ एक्येरियम की बेहतरीन व्यवस्था में वे ज्यादा से ज्यादा 4 साल तक ही जीवित रह सकेंगे। ऐसे में यूरो 2012 के मैचों की भविष्यवाणी करने के लिए पॉल इस दुनिया में नहीं रहेंगे। इससे पहले आठ भुजाओं वाले ऑक्टोपस बाबा ने ‘संन्यास’ की घोषणा कर दी है। अब वे कोई भविष्यवाणी नहीं करेंगे। जर्मनी के सी-लाइफ ओबेर हुसेन एक्वारियम के प्रवक्ता ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि अब पॉल भविष्यवाणी नहीं करेगा। वह सिर्फ उसे देखने आने वाले बच्चों का मनोरंजन करेगा।

संस्‍कृतप्रशिक्षणकक्ष्‍या - तृतीय: अभ्‍यास:

   प्रिय बन्‍धु संस्‍कृतप्रशिक्षणकक्ष्‍या का  तीसरा अभ्‍यास आज प्रकाशित किया है इसका लिंक नीचे दे रहा हूँ । संस्‍कृतप्रशिक्षणकक्ष्‍या - तृतीय: अभ्‍यास: आपलोगों की संस्‍कृत में श्रद्धा यूँ ही बनी रहे इसी आशा के साथ ।। भवदीय: - आनन्‍द:

मै पहरेदार हूँ भारत का॥

मै पहरेदार हूँ भारत का॥ भारत की अलख जगाता हूँ... भारत माँ की धुल को॥ माथे पे तिलक लगाता हूँ॥ मै चौकस रहता मौके पर॥ खड़े खड़े लहराता हूँ॥ भारत का रहने वाला हूँ॥ भारत की अलख जगाता हूँ॥ दुश्मन की करतूतों को॥ कामयाब होने नहीं देता॥ आन मान को ध्यान में रख कर॥ उनका काम ख़तम कर देता॥ मै नए नए जवानो में॥ नया जोश भरवाता हूँ। भारत का रहने वाला हूँ, भारत की अलख जगाता हूँ... परवाह नहीं करा तन की ॥ काल से भी लद जाता हूँ॥ कदम नहीं पीछे हटते है॥ मै उनकी ढोल बजाता हूँ॥

अपना क्यों बनाया..

मै तो बेदाग़ थी तूने दाग क्यों लगाया॥ जब जाना था दूर मुझसे अपना क्यों बनाया॥ अब तनहईया हमें रह रह के तडपाती है... बीती हुयी वे बाते हमको रूलाती है॥ सूखा चमन पडा था तूने क्यों खिलाया॥ मै तो बेदाग़ थी तूने दाग क्यों लगाया॥ जब जाना था दूर मुझसे अपना क्यों बनाया॥ अब चलती हूँ जब डगर में ताने मारते है॥ मै पहले से थी तुम्हारी सभी जानते है॥ ये होता कैसा यूं प्यार है हमें क्यों दिखाया॥ मै तो बेदाग़ थी तूने दाग क्यों लगाया॥ जब जाना था दूर मुझसे अपना क्यों बनाया॥ आँखों में तुम बसे हो मुझे नींद नहीं आती॥ तेरी राशीली बतिया रात भर जगाती॥ जब करना था घात मुझसे सिन्दूर क्यों लगाया॥ मै तो बेदाग़ थी तूने दाग क्यों लगाया॥ जब जाना था दूर मुझसे अपना क्यों बनाया॥

कडूयी मुहब्बत क्या है..

आया था यहाँ जीने॥ अब लुट के जा रहा हूँ॥ कडुई मुहब्बत क्या है॥ तुमको बता रहा हूँ॥ चंचल स्वभाव मेरा॥ सब का दुलारा था॥ दादा दादी का पोता॥ मम्मी पापा को प्यारा था॥ कैसे चढ़ी जवानी ॥ उसको बता रहा हूँ॥ आया था यहाँ जीने॥ अब लुट के जा रहा हूँ॥ चढ़ते जवानी मुझको॥ एक पारी मिल गयी॥ अपना भविष्य सवारने ॥ की कड़ी खुल गयी॥ कैसे हुआ था लट्टू ॥ तुमको बता रहा हूँ॥ आया था यहाँ जीने॥ अब लुट के जा रहा हूँ॥ सीचा था मेरे तन को॥ अब मुरझा रहा हूँ॥ उसने मुझे हंसाया॥ अब आंसू गिरा रहा हूँ॥ आया था यहाँ जीने॥ अब लुट के जा रहा हूँ॥ मैंने भी कदम पे चढ़ के॥ बंसी बजाया था॥ उसके ही दिल में अपनी॥ प्रीति जगाया था॥ वह मुझसे बिछड़ गयी। जो बीती गा रहा हूँ॥ आया था फ़ोन एकदिन॥ वह माँ बन गयी॥ मुझसे बिछड़ के ॥ किसी दूजे को मिल गयी॥ वह कैसी थी तुम बताओ॥ मै तुम्हे बता रहा हूँ॥