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Showing posts from January 7, 2010

लो क सं घ र्ष !: आयातित कार्यपालिका

भारतीय संस्कार , गरिमा , नैतिक मूल्यों की बात करते हैं उच्च पदस्थ लोग इन सारे चीजों से वंचित होकर पदीय दायित्व का निर्वाहन करते हैं . व्यवहार में अगर ऊपर लिखे गए शब्दों का बोध जरा सा भी इन लोगों में आ जाए तो बहुत सारी समस्याएं जो इनके द्वारा प्रतिदिन पैदा की जाती हैं वह समाप्त हो जाएँ । यह समस्याओं का समाधान नहीं खोजते हैं अपितु खोज के नाम पर एक बड़ी समस्या खड़ी कर देते हैं । विधि का निर्माण करने वाली संस्थाएं लगभग तीन दशकों से इन्ही उच्च पदस्थ लोगों द्वारा निर्धारित प्रारूप पर लिखी गई बात को कानून बना दिया है जिसके कारण व्यवहार में आए दिन दिक्कतें या समस्याएं पैदा होती रहती हैं देश के अन्दर ऐसे कानूनों का निर्माण इनके कुशल दिशा - निर्देशन में हो चुका है कि उसके ऊपर एक छोटी सी कहानी लिखना ही उचित होगा वह कहानी यह है कि जंगल के राजा ने आदेश किया कि सभी शैतान बंदरों को पकड़ लो । इस उद्घोषणा के बाद जंगल के ऊंट भी भागने लगे एक न

बेदम रहीं बोलोराम, 3 इडियट का सम्मोहन

बॉक्स ऑफिस:पहला सप्ताह बोलोराम, रात गई बात गई और एक्सीडेंट ऑन हिल रोड जैसी फिल्मों के साथ साल 2010 शुरु हुआ लेकिन बॉक्स ऑफिस पर इन फिल्मों को दर्शकों का कोई विशेष प्रसाद नहीं मिला। दरअसल 3 इडियट का सम्मोहन बॉक्स ऑफिस पर कुछ इस कदर चला कि इस फिल्म ने अपने दूसरे सप्ताह में भी हाउसफुल गई है। एक तरफ 3 इडियट अपनी कहानी, खास किस्म की मार्केटिंग और लेखन पर अधिकार को लेकर विवाद के चलते चर्चा में रही वहीं इस शोर में साल 2010 की तिनों फिल्में मात खा गई। बोलोराम और एक्सीडेंट ऑन हिल रोड कमजोर स्टॉर कास्ट और बेदम पटकथा के चलते दर्शकों को ध्यान नहीं खीच पाई हा रात गई बात गई ने मेट्रो शहरों में कुछ दर्शक जरूर जुटाए लेकिन यह संख्या ऐसी नहीं थी जो कुछ उम्मीद जगाती हो। कुल मिलाकर नई फिल्मों के लिए साल 2010 का पहला सप्ताह बेहद निराशाजनक रहा है और 3 इडियट ने ब्लॉकबस्टर सफलता हासिल कर एक नया रिकार्ड अपने नाम कर लिया है। एक तरफ दमदार पटकथा, सोचा समझा प्रचार और जनता को क्लीक कर गया तो दूसरी तरफ साल की पहली तीन फिल्में असफल साबित हुई है। यहां तक की छोटे शहरों में भी दर्शक इन फिल्मों को देखने नहीं पहुंचा है।