दंतेवाडा की घटना के समय देश में एक तबका बहुत जोर शोर से अपना सीना पीट रहा था । उस समय उसे आदिवासियों की जमीन, हवा, पानी याद नहीं था कि उनका सब कुछ बहुराष्ट्रीय कम्पनियां, राष्ट्रीय पूँजीपतियों ने छीन लिया है। सरकार भी बहुराष्ट्रीय कंपनियों, पूँजीपतियों के एजेंट कि भूमिका में अगर काम करने लगती है तो अशांति पैदा ही होगी। आज देश में स्थापित सरकार कि स्तिथि जनता के पक्ष में नहीं है। सीना पीटने वालों की बात को अगर शत प्रतिशत मान भी लिया जाए तो अब सी . आर . पी . एफ के राम पुर कैंप के दो अर्मोरार सहित सात पुलिस विभाग की गिरफ्तारी से यह साफ़ हो गया है कि अपराधियों को आर्म्स और कारतूस की सप्लाई नियमित रूप से इन्ही विभागों द्वारा की जा रही है । जिन अधिकारियो और कर्मचारियों के पास अतिरिक्त आय के साधन ( घूश का मद न होना ) नहीं होते हैं , वह लोग कारतूस आर्म्स बेंच कर काम चलते हैं । पुलिस पी . एस . सी के लोग जो ऐसी जगहों पर तैनात हैं जहाँ जनता से रिश्वत नहीं ली ज