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Showing posts from May 30, 2009

लोकसंघर्ष !: का बताई की मन मा केतनी पीर है...... ।

हाल हमरो न पूछौ बड़ी पीर है। का बताई के मनमा केतनी पीर है। बिन खेवैया के नैया भंवर मा फंसी- न यहै तीर है न वैह तीर है। हमरे मन माँ वसे जैसे दीया की लौ दूरी यतनी गए जइसे रतिया से पौ, सुधि के सागर माँ मन हे यूं गहिरे पैठ इक लहर जौ उठी नैन माँ नीर है - का बताई की मन मा केतनी पीर है...... । सूखि फागुन गवा हो लाली गई, आखिया सावन के बदरा सी बरसा करे , राह देखा करी निंदिया वैरन भई - रतिया बीते नही जस कठिन चीर है। का बताई की मन मा केतनी पीर है...... । कान सुनिवे का गुन अखिया दर्शन चहै, साँसे है आखिरी मौन मिलिवे कहै, तुम्हरे कारन विसरि सारी दुनिया गई- ऐसे अब्नाओ जस की दया नीर है। का बताई की मन मा केतनी पीर है...... । डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही ' लेबल: गीत चंदेल

'छद्म' पूँजीवाद बनाम वास्तविक पूँजी-4

आप ने अगर छद्म पूँजी बनाम वास्तविक पूँजी - १ , छद्म पूँजी बनाम वास्तविक पूँजी- २ , छद्म पूँजी बनाम वास्तविक पूँजी- ३ नही पढ़ा है तो उन पर क्लिक करें । युद्धोत्तर - काल में आर्थिक चक्र की विशेषताएं - इस प्रकार पूंजीवादी अर्थव्यवस्था और स्वयं दो विरोधी अंतर्विरोधी ध्रुवो में ध्रुवीकृत हो जाती है । उत्पादन से ही जनित वित्त पूँजी अब उत्पादन से जितनी दूर हो जाने की कोशिश करती है । पश्चिमी देशो के बड़े पूँजीवाद और नव-साम्राज्यवाद में एक नई विशेषता पैदा हो जाती है। वह वित्तीय और शेयर बाजार से ही अधिकाधिक मुनाफा कमाने का प्रयत्न करता है । फलस्वरूप ओद्योगिक एवं उत्पादक क्षेत्र की अधिकाधिक उपेक्षा होती जाती है। यहाँ आज की विश्व अर्थव्यवस्था की कुछ खासियतो पर ध्यान देना आवश्यक हो जाता है । तभी हम वर्तमान आर्थिक मंदी की भी ठीक से व्याख्या कर पायेंगे। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद की जो सबसे महत्वपूर्ण घटना है वह है वैज्ञानिक और तकनीकी क्रांति ( संक्षेप में अंग्रेजी अक्षरो से बना एस.टी.आर ) इस क्रांति और इसके तहत हुई संचार क्रांति ने विश्व बजार को एक दूसरे से जोड़कर

'श्रीलंका में नागरिकों की हत्या की जाँच हो'

संयुक्त राष्ट्र में मुख्य मानवीय सहायता संयोजक जॉन होम्स ने माँग की है कि श्रीलंका में मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन के आरोपों की जाँच कराई जाए. पूर्वोत्तर श्रीलंका में तमिल विद्रोहियों के ख़िलाफ़ सेना की कार्रवाई में हज़ारों नागरिकों के मारे जाने के आरोप लगाए जा रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के बाद अब एक ब्रितानी अख़बार 'द टाइम्स' ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि तमिल विद्रोहियों के ख़िलाफ़ लड़ाई के दौरान बीस हज़ार से ज़्यादा नागरिक मारे गए. जॉन होम्स ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है, "तमिल विद्रोहियों के ख़िलाफ़ गंभीर आरोप हैं कि वे छिपने के लिए नागरिक शिविरों में चले गए, दूसरी ओर सेना पर आरोप है कि उसने रिहायशी इलाक़ों में भारी हथियारों का इस्तेमाल किया." उन्होंने पूरे मामले की जाँच के लिए अंतरराष्ट्रीय समिति गठित करने की माँग की है. इससे पहले बुधवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त नवी पिल्लई ने कहा था कि लड़ाई के दौरान दोनों पक्षों ने मानवाधिकारों को ताक पर रख दिया. हालाँकि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में जाँच कराने संबंधी प्रस्ताव पारित नहीं हो सका था. बीस
सत्ता बी.जे.पी. इस चुनाव में न सही, आगामी चुनाव के बाद सरकार अवश्य बनायेगी राम ने साथ न दिया तो काशीरामकी अनुयायी मायावती, कम्यूनिज्म या मुस्लिम लीग को, गले लगायेगी आडवानी न सही मोदी, उमा, कल्याण या किसी को भी प्रधानमंत्री बनायेगी, क्योंकि सत्ता सिद्धान्त के आगे, सभी मुद्दे बोने हैं, सत्ता के लिए राम, कश्मीर, आचार संहिता, तथा चरित्र तो खिलौने हैं।