पढ़ता रहा हूं कल्याणकारी राज्य के बारे में और उस कल्याणकारी राज्य की स्थापना के लिए आन्दोलनों में हिस्सेदार भी रहा हूं। दवा और पढ़ाई मुफ्त में मुहैया कराना और रोज़गार की गारन्टी देना एक काल्याणकारी राज्य का कर्तव्य होता है। सिर्फ मुफ्त पढ़ाई ही नहीं बल्कि देश के नागरिकों को एक जैसी पढ़ाई की व्यवस्था करना कल्याणकारी राज्य का कर्तव्य है , लेकिन क्या हो रहा है अपने देश में संसद और विधान सभाओं में उपलब्ध कराया जाने वाला पानी कहीं उस कुंए का तो नहीं जिसमें भांग घुली हो। आन्दोलन चलता रहा मुफ्त और समान शिक्षा व्यवस्था लागू कराने का और शिक्षा का माध्यम और सरकार का कामकाज देशी भाषाओं को बनाये जाने का , लेकिन सारे आन्दोलन ठप पड़ गये और नतीजा आया उल्टा। देश का राज - काज अपनी भाषा में नहीं किया जा रहा है , शिक्षा का माध्यम अपनी मातृ - भाषा का न बनाकर विदेशी भाषा को बना दिया गया है , ऐसा क्यों ? क्या देश का स्वामी