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Showing posts from February 19, 2009

हाय समाज.............हाय समाज...............!!

............न पुरूष और न ही स्त्री..............दरअसल ये तो समाज ही नहीं.........पशुओं के संसार में मजबूत के द्वारा कमजोर को खाए जाने की बात तो समझ आती है......मगर आदमी के विवेकशील होने की बात अगर सच है तो तो आदमी के संसार में ये बात हरगिज ना होती.......और अगरचे होती है.....तो इसे समाज की उपमा से विभूषित करना बिल्कुल नाजायज है....!! पहले तो ये जान लिया जाए कि समाज की परिकल्पना क्या है.....इसे आख़िर क्यूँ गडा गया.....इसके मायने क्या हैं....और इक समाज में आदमी होने के मायने भी क्या हैं....!! ..............समाज किसी आभाषित वस्तु का नाम नहीं है....अपितु आदमी की जरूरतों के अनुसार उसकी सहूलियतों के लिए बनाई गई एक उम्दा सी सरंचना है....जिसमें हर आदमी को हर दूसरे आदमी के साथ सहयोग करना था....एक दूसरे की जरूरतों को पूरा करना था.....एक आदमी ये काम करता.....और दूसरा वो काम करता....तीसरा कुछ और....हर आदमी अपने-अपने हुनर और कौशल के अनुसार समाज में अपने कार्यों का योगदान करता....और इस तरह सबकी जरूरतें पूरी होती रहतीं.....साथ ही हारी-बीमारी में भी लोग एक-दूसरे के काम आते....मगर हुआ क्या............??

.अध्याय

यूँ तो महत्वपूर्ण होता है   जिन्दगी की किताब का हर अध्याय लेकिन अक़्सर   सामने रखते हैं जब इसे लोगों के तो गायब (फटा ) होता है वही अध्याय सर्वाधिक भूमिका होती है जिसकी जिन्दगी को जिन्दगी बनाने में ..........|

कलम का सिपाही प्रतियोगिता के नतीजे घोषित!

''हिन्दुस्तान का दर्द'' ब्लॉग ने हिन्दी को बढावा देने के उद्देश्य एवं आप सभी कवि मित्रों को मिलाने की मंशा को लेकर ''कलम का सिपाही'' प्रतियोगिता का आयोजन किया था, इस दिशा में आप लोगों के सहयोग से हमे बहुत हद तक सफलता भी मिली ! इस प्रतियोगिता के अंतर्गत एक विजेता को १००० रुपए के नगद इनाम से सम्मानित किया जाना था इसी लिए हम इस प्रतियोगिता के विजेता की घोषणाकर रहे है! विजेता के चुनाव को करते समय सभी प्रकार की बातों पर ध्यान दिया गया है, इस जांच समिति में मुख्य रूप से युवा शक्ति संगठन शामिल रहा है ! इसलिए विजेता का चुनाव भी युवा शक्ति संगठन प्रमुख के निर्देश पर हुआ है! ''कलम का सिपाही'' प्रतियोगिता में ३० कवियों ने भाग लिया जिनका हम तहे- दिल से शुक्रिया अदा करते है बह सभी ३० कवि हैं :- १.रजनी मौर्य -माँ की बात २.प्रशांत देसाई- सर्द रात ३.अपूर्व जैन -देश को हुआ क्या है ? ४.विनय बिहारी सिंह-आम आदमी ५.मंजुलता जोशी- रोटी की कमी ६. अभिदीप यादव-हिंदू है हम ७.रोहित- खो देना चाहती हूँ तुम्हें ८.अमित चौबे-राजनीति अजीब है ९.निरंजन सागर-गोबर की सुगंध १