आखिर गुर्जर आन्दोलन का लक्ष्य क्या है ? -- 5% सरकारी नौकरियां --आखिर क्यों ? यदि कृष्ण चाहते तो कंस की नौकरी करके मज़े से रहते पर उन्होंने मटकी फोड़ने का मार्ग चुना ... . गोकुल - बृज धाम की अपनी स्वतंत्र अर्थव्यवस्था का , अपनी स्वायत्तता का मार्ग , कर्म का मार्ग... । क्यों देश - दुनिया को दुग्ध प्रदान करने वाला समाज , एक स्वतंत्र अर्थ व्यवस्था वाला समाज अपने बच्चों को नाकारा , बाबू गीरी अभ्यस्त , आलसी , पराबलंबी बनाना चाहता है , नौकरी का चस्का लगाकर । वे क्यों नहीं उन्हें अपना स्वतंत्र व्यवसाय करने का परामर्श देते। विभिन्न बैंकों , समाजसेवी संस्थाओं , एन आर आई की सहायता से वे अपना स्वतंत्र दुग्ध , दुग्ध -खाद्य पदार्थों का स्वतंत्र व्यवसाय कर सकते हैं। स्व के साथ देश, समाज की भी सेवा...कृष्ण की भांति.... आरक्षण की वैशाखी वाले समाज आज कहाँ हैं , उनकी क्या दशा है सभी जानते हैं । उनके बच्चे स्कूल , संस्थान सभी जगह अन्य इतर अनारक्षित के शब्द वाणों -- अयोग्य ,अपात्र, सरकारी दामाद, पहुँच वाले,--आदि का दंश किस तरह