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Showing posts from March 3, 2010

लो क सं घ र्ष !: देश बचाओ अभियान

घर हो, सड़क हो, दुकान हो, दफ्तर हो, कचहरी हो, अस्पताल हो वो कुछ भी हो आजकल हर जगह देश बचाओ अभियान जोर पकड़ रहा है। इस देश बचाओ अभियान का उद्भव कहां से हुआ, कब हुआ, क्यों हुआ, कैसे हुआ किसी को कुछ पता नहीं लेकिन लगे हैं सब के सब देश बचाओ अभियान में। एक जमाने में नारी उत्थान आन्दोलन ने जोर पकड़ा और वह आन्दोलन आज भी वजूद में है। बिल्कुल उसी तरह से देश बचाओ आन्दोलन चल रहा है और उस पर चर्चा हो रही है। देश को बचाने में सरकार अपनी भूमिका निभाने में सबसे आगे है। सरकार एन0डी0ए0 की रही हो, कांग्रेस की रही हो या फिर यू0पी0ए0 की रही हो सब के सब बढ़ चढ़कर अपना नाम देश बचाओ आन्दोलन में आगे रखने के लिए प्रयासरत हैं और इनसे अधिक आगे रहना चाहते हैं नौकरशाह। वह नौकरशाह सुरक्षा से संबंधित हों, आन्तरिक सुरक्षा से संबंधित हों, विदेश मामले से संबंधित हों, खूफिया तंत्र से संबंधित हों या फिर प्रशासनिक अधिकारी हो। आखिर क्या है जो सब के सब देश बचाओ अभियान में एक-दूसरे के कंधे पर चढ़कर आगे बढ़ रहे हैं। देश क्या है? सीमाओं से बंधा भूभाग या उसमें बसने वाले लोग, सरकार या संप्रभुता। जहां तक मैने पढ़ा और समझा है इन चारों अव

जीवन को छोड़ जाए हम॥

गम का गागर लिए॥ आंसुओ से भरा॥ नाथ तुम ही बताओ॥ कहा जाए हम ॥ मुर्खता है हमारी॥ किया हमसे छल॥ पल पल आंसू ही पीते॥ क्या मर जाए हम॥ भूल मुझसे हुयी॥ गम को झेला भी मै॥ कुरता इतनी करनी ॥ नहीं चाहिए॥ क्या तपोवन में जाके॥ जल जाए हम॥ क्यों विधाता बने हो॥ क्षीर सागर में जा॥ अपनी भक्ति पे एतवार॥ हमको भी है॥ क्या जहर खा के॥ जीवन को छोड़ जाए हम॥