Skip to main content

दिल से निकली प्रार्थना को भगवान जरूर सुनते हैं

विनय बिहारी सिंह

पिछले रविवार को योगदा मठ में पूरे दिन रहा। वहां के एक सन्यासी ने कहा- अगर दिल से प्रार्थना की जाए तो भगवान जरूर सुनते हैं। लेकिन जरूरी यह है कि प्रार्थना करने वाले के मन में ईश्वर के प्रति गहरी आस्था होनी चाहिए। यह आस्था कैसी होनी चाहिए? जब आप प्रार्थना कर रहे हों तो आपके मन में पूरा भरोसा हो कि आपकी बात ईश्वर सुन रहे हैं। और यह कल्पना की बात नहीं है। जिसने यह समूची सृष्टि बनाई है, वह आप क्या कह रहे हैं, नहीं सुनेगा? वह तो हमारे एक एक पल की जानकारी रखता है। हमारी हर बात सुनता है। मन में यह दृढ़ विश्वास होना चाहिए कि ईश्वर मुझे गौर से सुन रहा है। आप दिल खोल कर उससे अपनी बात कहिए। जैसे आप कोई बात अपने किसी अत्यंत प्रिय व्यक्ति से करते हैं। भगवान उसका जवाब देते हैं। लेकिन अगर आपके मन में जरा भी शक है कि क्या पता भगवान सुन भी रहे हैं कि नहीं, तो फिर आपको ईश्वर की तरफ से जवाब नहीं मिलेगा। दुनिया के सभी धर्मों के जितने भी धर्मग्रंथ हैं, सभी स्पष्ट रूप से कह रहे हैं- हम ईश्वर की संतान हैं। ईश्वर ही हमारा माता- पिता है। हमें उसकी शरण में जाना चाहिए। लेकिन यह बात पढ़ कर, सुन कर हम मन में पक्की तरह नहीं बैठा पाते। फिर भी शंका रह ही जाती है। क्या पता भगवान की संतान हम हैं कि नहीं? जैसे ही यह शंका हुई कि बस आप भगवान से दूर हो गए। आप खुद को शरीर मत मानिए। आप एक विराट चेतना हैं। आप अपनी चेतना को ईश्वर से जोड़ दीजिए, बस आप सुखी हो जाएंगे। सन्यासी की बात बिल्कुल ठीक है। सच ही तो है- हमारे मन में हमेशा शंका उठती रहती है, अगर- मगर उठता रहता है। रामकृष्ण परमहंस ने कहा कि जीव कोटि के लोगों को ईश्वर पर भरोसा ही नहीं होता। कुछ दिन भरोसा रहता है तो फिर मन में शंका उठ जाती है। मन स्थिर नहीं रहता। ऐसे में प्रार्थना ईश्वर तक नहीं जाएगी। आपकी शंका ही आपकी प्रार्थना को रोक लेगी। इसी को धर्म शास्त्रों में माया कहा जाता है। अंग्रेजी में डिल्यूजन। इसी से हमको मुक्त होना है और सच्चे मन से ईश्वर को पुकारना है। वे तैयार खड़े हैं हमारी मदद के लिए।

Comments

  1. दिल से निकली prathna को भगवान् जरुर सुनते है सच कहा आपने अच्छा लिखा है !

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...