Skip to main content

Posts

Showing posts from December 14, 2010

राज कपूर: एक तारा न जाने कहां खो गया

14 दिसंबर 1924 को जन्मे रणबीर राज कपूर एक ऐसी शख्सियत हैं जिन्हें फिल्म निर्माण की किसी एक विधा से जोडक़र उनका सही मूल्यांकन नहीं किया जा सकता। क्या नहीं थे वे? निर्माता, निर्देशक, अभिनेता, गीत-संगीत की बारीकियां समझने वाला शख्स, फिल्म संपादन का विशद् ज्ञान रखने फिल्मकार। एक बहुआयामी व्यक्तित्व, जिसने भारतीय सिनेमा को अपने अविस्मरणीय योगदान से समृद्ध किया। फिल्मों के सेट पर क्लैप देने वाला वह मामूली लडक़ा एक दिन भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा शोमैन बन जाएगा, तब किसी ने सोचा नहीं होगा। उस लडक़े के असाधारण पिता पृथ्वीराज कपूर ने भी शायद ही सोचा होगा कि आगे चलकर उनका यह बेटा एक दिन उन्हीं को निर्देशित करेगा। लेकिन, महान लोग हमेशा अप्रत्याशित होते हैं और इसमें कोई शक नहीं कि राज कपूर एक महान फिल्मकार थे। शुरुआती दौर में फिल्म स्टूडियो में छोटे-मोटे काम करने वाले राज की प्रतिभा को पहचाना केदार शर्मा ने और अपनी फिल्म ‘नीलकमल’ (1947) में हीरो की भूमिका दी। फिल्म की नायिका तब की सुपर स्टार मधुबाला थीं। महबूब की ‘अंदाज’ (1949) से राज इंडस्ट्री के चहेते कलाकार बन गए। सही मायनों में वे संपूर्ण
राहुल के निकटतम जितेन्द्र के दादा गांधी की हत्या में शामिल थे देश के कोंग्रेस के युवा सम्राट के निकटतम मित्र और विशेष सलाहकार अलवर के महाराजा डोक्टर जितेन्द्र सिंह के दादा अलवर के पूर्व महाराजा तेजसिंह गाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के सहयोगी थे और उन्हें इस मामले में नजर बंद भी किया गया था । अलवर के महाराजा का यह सच किसी विपक्ष में बेठे व्यक्ति ने नहीं बताया हे बलके राजस्थान सरकार के दो वर्ष की उपलब्धी मामले में प्रकाशित पुस्तक अलवर जिला दिग्दर्शन में इस मामले का रहस्योद्घाटन किया गया हे । कल अलवर में प्रभारी मंत्री और यातायात मंत्री ब्रिज किशोर शर्मा ने जब इस पुस्तिका का विमोचन किया और अलवर के पूर्व महाराजा जो कोंग्रेस सांसद और राहुल गाँधी के अति विश्वसनीय निकटतम डोक्टर जितेन्द्र सिंह के दादा स्वर्गीय तेज सिंह के इस प्रकाशित रस्योद्घाटन जिसमे महाराजा तेजसिंह और अलवर के प्रधान मंत्री ऍन वी खरे को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के षड्यंत्र में शामिल होना बताया गया हे और इस आरोप में इन दोनों को नजरबंद भी किया गया था के बारे में जब प्रभारी मंत्री जी से पूंछा गया

सोनिया गाँधी

                                                                            राजनीती से तो  हमारा दूर दूर तक कोई सरोकार नहीं है पर दिल ने चाहा की किसी एसे व्यक्तित्व पर लिखा जाये जो बड़ी हस्ती से तालुख रखता हो , फिर क्या था जहन में सोनिया जी का नाम आ गया और हमने भी कलम को गति देते हुए उनके सकारात्मक पहलुओ को लिखना शुरू कर दिया ! हमारा उदेश्य तो उनके राजनीती पहलुओ को न देखते हुए नारी के सुंदर व्यक्तित्व को उजागर करना था ! क्युकी राजनीती तो इन्सान के अपने असली पहचान को ही ख़तम कर देती है और रह जाता है सिर्फ बाहरी आवरण जिसमे किसी भी तरह के प्रहार का कोई फरक ही महसूस नहीं होता और वो इसका आदि हो जाता है जिसमे से एहसास शब्द का अर्थ ही ग़ुम हो जाता है ! राजनीति इन्सान को इन्सान की हकीकत से दूर ले जाने का काम बखूबी करती है तभी तो वो उस दर्द के करीब नहीं पहुँच पाती ! चलो छोड़ो हमारा तो सिर्फ इतना कहना था की हमारी भी सोनिया जी के साथ बिताये कुच्छ यादो के पल हैं जो हमने उनके साथ तब बांटे थे जब वो हमारे देश के प्रधान मंत्री श्री राजीव गाँधी जी के साथ बॉम्बे में अपना उत्सव...... के दोरान  पधारी थी