-अजय ब्रह्मात्मज देश भर के लेखकों के लिए फिल्म लिखने और निर्देशक बनने की आकांक्षा पूरी करने का एक नया मंच पिछले कुछ सालों से सक्रिय है। इसके बारे में देश के छोटे-मझोले शहरों के लेखक कम जानते हैं। मुंबई और दिल्ली के अलावा देश के अन्य निर्माण केंद्रों से तो इच्छुक लेखक इसमें शामिल होने लगे हैं। उनकी स्क्रिप्ट स्वीकृत और पुरस्कृत हुई हैं। कई स्क्रिप्ट फिल्मों में परिणत होकर देश-विदेश में चर्चित भी रहीं। पिछले साल की सर्वाधिक चर्चित फिल्म ‘द लंचबॉक्स’ भी इसी मंच से आई थी। एनएफडसी हर साल स्क्रिनरायटर्स लैब के नाम से असका आयोजन करता है। चुनी गई स्क्रिप्ट को मार्गदर्शन दिया जाता है। कोशिश रहती है कि देश-विदेश के निर्माता और संस्थाएं इन स्क्रिप्ट पर विचार करें और निवेश के लिए तैयार हों। स्थापित और प्रसिद्ध निर्देशकों को अपेक्षाकृत आसानी से निर्माता मिल जाते हैं। दिक्कत पहनी फिल्म के निर्देशकों की रहती है। अव्यावसायिक फिल्मकारों को भी साधन और धन की कमी रहती है। उनके लिए यह मंच और निर्माण में एनएफडीसी का सहयोग बहुत मानी रखता है। याद करें तो जवाहर लाल नेहरू की पहलकदमी पर कलात्मक और सार्थक फ