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Showing posts from July 17, 2010

हमारे समय पर मजाकिया नजर है ‘पीपली लाइव’

पीपली लाइव एक काल्‍पनिक कहानी है दो भाइयों की, जो किसान हैं। फिल्‍म की शुरुआत में कर्ज न चुकाने की वजह से वे अपनी जमीन खोने वाले हैं। इसी दौरान उन्‍हें पता चलता है एक सरकारी योजना के बारे में, जो कहती है कि जो किसान कर्जे की वजह से आत्‍महत्‍या करता है, उसके परिवार को एक लाख रुपये दिये जाएंगे। यह सुन कर बड़ा भाई छोटे भाई को मनाता है कि वह आत्‍महत्‍या कर ले ताकि परिवार को एक लाख रुपये मिल जाएं। बड़ा भाई थोड़ा तेज है। छोटा भोला है, तो उस वक्‍त तो वह मान जाता है। उस समय इन दोनों को बिल्‍कुल अंदाजा नहीं है कि जो कदम वे उठाने जा रहे हैं, उससे उस गांव में क्‍या होने वाला है। यह फिल्‍म एक मजाकिया नजर है, हमारी सोसायटी पर, हमारे समाज पर, हमारे एस्‍टैबलिशमेंट पर, मीडिया या सिविल सोसायटी पर… यह मजाकिया नजर है हम सब पर… जिसमें एक चीज कहां से शुरू होती है और कहां तक पहुंचती है। हालांकि यह एक मजाकिया नजर है… यह फिल्‍म कुछ अहम चीज बता रही है… हमारे समाज के बारे में… हमारे देश के बारे में… आमिर खान मोहल्‍ला पर पिछले दिनों फिल्‍मों में आ रहे किरदारों और विषयों पर लंबी बहस चली। यह फिल्‍म सुकून देती है

इस्लाम में आतंकवाद वर्जित क्यों?

Source: धर्म डेस्क. उज्जैन आं तकवाद यानि ऐसा वाद जिसे दिल और दिमाग से नहीं बल्कि बम और बंदूकों के दम पर फेलाया जाता है। धर्म कोई भी क्यों न हो वह आतंकवाद यानि कि दहशतगर्दी को इजाजत नहीं देता। किसी धर्म विशेष से आतंकवाद जैसे घिनोने कार्य को जोडऩा उचित नहीं है। इस्लाम धर्म की प्रमुख संस्थाएं दारूल उलूम देवबंद, आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड और वक्फ दारूल उलूम...आदि सभी ने उत्तर प्रदेश के देवबंद शहर में आयोजित देश के सर्वोच्च इस्लामिक सम्मेलन में ' आतंकवाद ' की सभी कार्रवाइयों को गैर धार्मिक होने के साथ ही ग़ैर इस्लामी भी कहा गया है। ऐलाने इस्लाम: इस सम्मेलन में एक महत्वपूर्ण घोषणापत्र भी पारित किया गया। दारुल-उलूम के आतंकवाद विरोधी सम्मेलन में भी सभी तरह की हिंसा और आतंकवाद की आलोचना करते हुए सर्वसम्मति से एक घोषणापत्र पारित किया गया। इस सम्मेलन में अनेक मुस्लिम विद्वानों, धार्मिक नेताओं और मौलवियों ने हिस्सा लिया। घोषणापत्र में कहा गया है- 'इस्लाम ऐसा धर्म है, जिसमें सभी के प्रति दया-दृष्टि रखी जाती है। इस्लाम सभी तरह की हिंसा, आतंकवाद और अत्याचार की कड़ी आलोचना करता ह

एक आवश्‍यक निर्देश और आग्रह

प्रिय मित्रों पिछले कुछ दिनों से संस्‍कृत की लेखन कला विकास हेतु जो कक्ष्‍याएँ अब तक सम्‍पादित हुई हैं, उनमें आप लोगों की रूचि और उत्‍साह देखकर अति आनन्‍द प्राप्‍त हुआ । किन्‍तु अभी कुछ अधिक सफलता नहीं दिख रही है । मेरे कहने का तात्‍पर्य है कि आप में से कुछ मान्‍यों का प्रयास तो उत्‍तम रहा है किन्‍तु अन्‍यों का प्राय: समय के अभाव के कारण अधिक अभ्‍यास नहीं हो पा रहा है । इस के समाधान के लिये हमने एक उत्‍तम नीति सोंची है । बस आप लोगों का सहयोग मिले तो कुछ ही दिनों में चिट्ठा जगत पर संस्‍कृत के लेखकों की कतार खडी हो जाएगी । प्रस्‍ताव यह है कि आप में से जो लोग भी थोडा- बहुत भी संस्‍कृत में लिखना जानते हैं वो मेरे इस ब्‍लाग पर लेखन प्रारम्‍भ करें । आपको अधिक नहीं बस सप्‍ताह या दो सप्‍ताह में कोई एक छोटी सी लघुकथा या लेख लिखना है मुझे ईमेल करना है, मैं उन लेखों में जो छोटी मोटी गलतियॉं होगी उन्‍हे सही करके पुन: आपको मेल कर दूँगा और आप उसे मेरे इस ब्‍लाग पर अपने नाम से प्रकाशित करेंगे । इससे दो लाभ हैं एक तो आपको नये शब्‍दों और नये वाक्‍यों के लिखने का तरीका पता चलेगा और दूसरी बात कि

जब मोर मगन हो करके नाचा..

मै मयूर मगन हो देख रहा था॥ जो उपवन में नाच दिखाता था॥ रिम-झिम रिम-झिम बारिश होती॥ मेढक तान लगाता था॥ संग सहिलिया रास रचाती॥ मोर मगन मुस्काता था॥ उसी समय कोयल की बोली॥ मन मेरा हर्षाती थी॥ अपनी प्रिया के गम में डूबा॥ आँखे आंसू बरसाती थी। मन थोड़ा उदास हुआ था॥ अपनी कमी टटोला था॥ रिम-झिम रिम-झिम बारिश होती॥ मेढक तान लगाता था॥ तभी पवन रस डोली थी॥ कानो में मेरे बोली थी॥ राह निहार रही तेरी जोगन॥ कानो में आभा बोली थी। अन्द्कार अब दूर होगया॥ मन जगा उजाला था॥ रिम-झिम रिम-झिम बारिश होती॥ मेढक तान लगाता था॥

36 डिग्री में बातचीत

श्रवण गर्ग पाकिस्तान में सत्ता प्रतिष्ठान और मीडिया के कुछ हिस्सों द्वारा यह धारणा बनाई जा रही है कि दोनों देशों के विदेश मंत्रियों एसएम कृष्णा और शाह महमूद कुरैशी के बीच बातचीत विफल हो गई है और ऐसा नई दिल्ली के रवैए में लचीलेपन की कमी के कारण हुआ है। दूसरी ओर, भारतीय पक्ष बातचीत के नतीजे से आमतौर पर संतुष्ट है। उसका कहना है कि अपने नजरिए और अपनी चिंताओं को साफ और दो-टूक शब्दों में पाकिस्तान के सामने रखा है, जिसके लिए इस्लामाबाद पूरी तरह तैयार नहीं था। बातचीत का संभावित नतीजा पाकिस्तानी वार्ताकारों और अन्य लोगों के लिए पहले ही जाहिर था क्योंकि आतंकवाद के बारे में और खासतौर पर मुंबई हमले को लेकर भारत की चिंताओं के समाधान की दिशा में पाकिस्तान ने कोई कदम नहीं उठाया था। बातचीत में भारत का एजेंडा क्या होगा, यह पाकिस्तान को ठीक तभी पता चल गया था जब भारतीय विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने इस्लामाबाद हवाई अड्डे पर कदम रखने के फौरन बाद वहां प्रतीक्षारत भारतीय मीडियाकर्मियों और पाकिस्तानी अधिकारियों की मौजूदगी में पहले से तैयार बयान पढ़ा। इस बयान में उन्होंने जो कुछ कहा, उसको उसी दिन बाद में एक बार

मै गम बेचता हूँ...बोले खरीद लो गे॥

मै गम बेचता हूँ...बोले खरीद लो गे॥ जुदाई गम तन्हाई गम बिदाई गम॥ क्या तुम भी समेट लोगे॥ ? गरीबी का दम लिए सड़क पे दौड़ता हूँ॥ क्या तुम भी दौड़ लोगे॥? लोगो के के सामने हाथ फैलाता हूँ॥ क्यों तुम फैला देगे॥ सरकारी बाबुओ को हफ्ता भी देना पड़ता है... क्यों तुम उन्हें दोगे॥? छूंछ पैर दोपहर धुप में दौड़ता हूँ॥ क्या तुम भी दौड़ लोगे॥ अपना नहीं है कोई सड़क पे लेटता हूँ॥ क्या तुम लेट लोगे॥ मै गम बेचता हूँ...बोले खरीद लो गे॥

भ्रष्ट मण्डली ..

यह भ्रष्टाचारी की भ्रष्ट मंडली॥ इनकी अक्ल बौडाई है॥ चारो तंगी का आलम॥ इनके कारण ही महगाई है॥ खुल्लम खुल्ला घूंस लेते॥ तनिकव नहीं लजाते है॥ अगर तनिक मुह खुल जाता तो॥ बाजा जस बजाते है॥ इनके लिए तो अच्छा मौसम॥ इनके लिए ठिठाई है॥ पूजे जाते भ्रष्ट घरो में॥ अफसर या चपरासी हो॥ कही सच्चाई नहीं बसी अब॥ काबा हो या काशी हो॥ मेरी कलम गलत नहीं लिखती॥ सोचो कितनी गहराई है॥ ज्यादा दिन अब नहीं है चलना॥ कुछ पल में तेरी बिदाई॥

मिडिया को ये लोग क्यों दिखाई नहीं देते॥

भीख माँगते बच्चे आखिरकार क्यों भीख मांग रहे है? क्यों कूड़ा चुन रहे सड़क के किनारे क्यों छोटे बच्चे अब भी नौकरी कर रहे है॥ यह कैसा देश है जहा कानून का पालन सही ठंग से न किये जा रहे है और न करवाए जा रहे है, ये कौन करवाता है, की हमारे देश के भविष्य से खिड्वाद कर रहा है, हमारे मीडिया की नजर इन पर भी होनी चाहिए, हमारी मीडिया ने बहुत लोगो के पोल खोल रही है , बहुतो की खोले गी, अगर अब भी हमारी मिडिया के लोगो को पता है, की कहा क्या हो रहा है, लेकिन वे भी आँख बंद कर लेते है, शायद उन्हें सच्चाई से दर लगता है, नंदा की कोठी में जो ड्राईवर की ह्त्या हुयी उसका क्या ह़ा॥ मीडिया ईमान दारी से काम करे तो वह एक साल के अनार ४५% हमारे देश की बुराई दूर कर सकती है,, सब को पता होता है , किस एरिया में अवैध काम होता है॥ लेकिन मीडिया भी फोकस में हमेशा रहती है,, मिडिया का मतलब होता सच को सलाम और बुराई को उजागर करना॥ शायद आप लोग अब ध्यान ही दो,,, हमें साथ मिलाओ हम आप के साथ संघर्ष करेगे॥ मिडिया को ये लोग क्यों दिखाई नहीं देते॥

ये राजनीति की वही है कुर्सी..जो भ्रष्टाचार बुलाती है..

एक कुर्सी मुझे सपने में नज़र आती है॥ बैठने को मन कहता पर आत्मा सकुचाती है॥ ये राजनीति की वही है कुर्सी॥ जो भ्रष्टाचार बुलाती है॥ जो इस कुर्सी पर बैठा सच्चा न कोई उतरा है॥ किसी की चादर साफ़ नहीं है॥ सभी का कुर्ता मैला है॥ खड़े खड़े जनता के हक़ को॥ बीच सभा लुटवाती है॥ ये राजनीति की वही है कुर्सी॥ जो भ्रष्टाचार बुलाती है॥ सम्बन्धी सब मौज उड़ाते॥ गरीब खड़े चिल्लाते है॥ नेता जी तो बड़े निकम्मे ॥ वादा करके भूल जाते है॥ इस कुर्सी के करया बहुत है॥ पर भ्रष्टाचार बदमासी है॥ ये राजनीति की वही है कुर्सी॥जो भ्रष्टाचार बुलाती है॥ इस कुर्सी का मूल्य मंत्र यह॥ सच को कभी मत डिगने दो॥ कडा शाशन कर के रखो॥ बुरी बया मत बहने दो॥ मूक बनी कुर्शी बैठी॥ मन ही मन लजाती है॥ ये राजनीति की वही है कुर्सी॥जो भ्रष्टाचार बुलाती है॥

दूर से..

बहुत दिनों के बाद मिली हो रास्ते में आज॥ वह भी मांग सजाये ,,खूब सिंगार रचाए॥ आँख तुम्हारी बता रही है । ख़ुशी खुसी कटती रतिया॥ ओठ थोड़ा रूखे लगते है॥ सोच सोच मेरी बतिया॥ चाँद की हूर हमें लगती हो॥ देख देख अंखिया शर्माए॥ सदा तुम्हारी गमके बगिया यही मेरी आशीष॥ मै कैसा मुझपर अब छोडो मेरे संग जगदीश॥ अगर कभी दुःख तुमको हो तो उसकी पता हमें चल छाए॥