Skip to main content

Posts

Showing posts from January 21, 2009

आओ ढूंढे हिन्दूस्तानी ओबाम ............

रास्ट्रपति बराक ओबाम जी हा यह नाम जो अब हर किसी की जुबान में होगा . कुछ उन्हें आडियल की तरह देखेगे . तो कुछ उन जैसा बनने की चाहत रखेगे तो कुछ उनमे अच्छाई दुन्ढेगे में लगे है , तो कुछ और भी बहुत कुछ ........ . पर यह उनका व्यक्तित्व ही है की वो सब को प्रभवित कर लेते है और हर व्यक्ति उनसे प्रभावित हुए बिना नही रह सकता . पर अमेरिका के नये रास्ट्रपति श्री ओबामा के शपथ लेते ही हिंदुस्तान में एक नई बहस शुरू हो गई है , हर एक उन्हें अपने नजर से आंकलित कर रहा है कोई उन्हें मसीहा , तो कोई उनके विक्तितव का कायल है , और कुछ तो उन्हें मंदी से जूझती अमेरिकन अर्थव्वस्था को उबरने वाला अर्थशास्त्री मान रहे है लेकीन जेसा की मै देख रहा हु हिंदुस्तान में एक नई बहस इस बात से परे हिन्दूस्तानी ओबामा की तलाश से शुरू होती है जहा हिन्दूस्तानी राजनेता ओबामा की लोकप्रियता से प्रभावित ख़ुद के लिए वैसी स्टाइल स्तेटेजी और इमेज सिंबाल बनने में जुट गए तो निरीह जनता जो ६० सालो से इन राजनेतावो से छलती आ रही है , जो हर ५ साल बाद होने वाले चुनावी समर में वही [ सड़क ,साफ पीने का पा

मंद-मंद मुस्काए मंदी, दुनिया अंधी हो गई...

ना ना ना ना...मंदी और मुस्कराहट का कोई जोड़ नही है। अब आप ही बताइए की मंदी की मार से बेहाल भला किस मुह से मुस्कुराएगा, अरे भैय्या वो तो रोयेगा। लेकिन एक बात जान लीजिये कोई ना कोई तो है जो इस भीषद मंदी में भी मुस्कुराये बिना नही रह सकता। अब आप सोच रहे होंगे की मंदी में मुस्कुराने वाला भला कौन? तो इसका सीधा सा उत्तर है की वह मंदी ही है जो इस अंधी दुनिया की करतूतों पर चुपचाप मुस्कुरा रहा है और जो कुछ माल मिल रहा है उसे दबा रहा है। अभी कल की ही बात है अमेरिकी प्रेजिडेंट का सपथ ग्रहण हो रहा था, निवर्तमान प्रेजिडेंट के साथ वर्त्तमान प्रेजिडेंट के चेहरे पर मंदी हौले-हौले अपना असर दिखा रही थी। उधर दूसरी तरफ़ ये अंधी दुनिया दंत निकल हसी से मंदी को मात देने की कोशिश कर रही थी। बराक ओबामा जी ने कहा की मंदी से निबटाना एक चुनौती है और हम इससे जल्दी ही निजात पा लेंगे। लेकिन मंदी भी कहाँ पीछे रहने वाली थी उसने भी दो तुक जबाब दे दिया की अगले चार साल तक मैं ओबामा जैसे इतिहास पुरूष के साथ कंधे से कन्धा मिलकर चलूंगी, आख़िर मुझे भी तो बदलाव का क्रेडिट मिलना चाहिए की नही। मंदी ने अपना बयां जारी रक्खा, उसने

यही जीवन है

विनय बिहारी सिंह कल केला बेचने वाले ने कहा- सर, कल रात सामने की बिल्डिंग के दरबान ने हम लोगों से दो घंटे तक बातचीत की। बिल्कुल मजे से बात हुई। आज यहां केला बेचने आया तो पता चला- उस दरबान की मौत हो गई। बताइए, यह कैसे हो गया? मुझे लगा कि भीतर से वह इस घटना से हिल गया है। नौजवान लड़का है। इस तरह का उसका यह पहला अनुभव है। मैंने कहा- यही जीवन है भाई। किसी संत कवि ने कहा है- पानी केरा बुदबुदा, अस मानुस की जाति। पानी के बुलबुले जैसा मनुष्य की नियति है। क्या पता पानी का बुलबुला कब फूट जाए। फिर भी बेईमानी करने के लिए कुछ लोग किसी हद तक गिरे जा रहे हैं। किसी का नुकसान कर, किसी को कष्ट देकर भी अपना भला हो रहा है तो वे खुश हो जाते हैं। उन्हें नहीं पता कि एक दिन यह सारा बेईमानी का पैसा धरा रह जाएगा। इसके जवाब में वे कहेंगे- धरा कैसे रह जाएगा? मेरे बाल- बच्चे इसका उपभोग करेंगे। लेकिन भाई, आप तब कहां रहेंगे, सोचा है? कैसे बाल बच्चे? उनके भी बाल- बच्चे होंगे। फिर उन बाल- बच्चों के भी बाल- बच्चे होंगे, फिर उनके बच्चे। औऱ इस तरह आप भुला दिए जाएंगे। क्योंकि सात पीढ़ी या आठ पीढ़ी के पूर्वजों को कौन याद र

युवाओं के उपयोग में भारत फिसड्डी

आ ज हिन्दुस्तान के पास दुनिया में सबसे जायदा युवा है, या यूँ कहे की हिन्दुस्तान दुनिया का सबसे युवा देश है तो कुछ गलत न होगा! परन्तु मुद्दा यहाँ सबसे अधिक या पूजा मिश्र-जबलपुर में एल.एल.बी.अंतिम बर्ष की छात्रा है उन्हें कविता और लेख लिखना पसंद है इन्होने यह लेख ''हिन्दुस्तान का दर्द'' के लिए लिखा है सबसे कम युवाओं का नहीं है बल्कि महत्वपूर्ण यह है की हम उस युवा शक्ति का उपयोग किस दिशा में कर रहे है और कितना कर रहे है एवं उस युवा शक्ति से हम देश को कितना सुद्र्ण बना पा रहे है !अमेरिका की बात की जाए तो अमरिका अपने युवा का सबसे अधिक उपयोग तकनीकी फील्ड में कर रहा है ,जबकि पकिस्तान अपने युवाओं का उपयोग एक मजबूत सेना बनाने में कर रहा है ! अमेरिका और पकिस्तान की अपेक्षा हिन्दुस्तान के पास युवा शक्ति जरुर अधिक है लेकिन उसका उपयोग देश न तो तकनीकी फील्ड में कर पा रहा है न किसी अन्य दिशा में!भारत को आवश्यकता है की बह अपनी युवा शक्ति का जायज रूप से उपयोग करे न की सिर्फ उनका उपयोग राजनीतिक रैलियों की लम्बाई बढाने मे करता रहे यदि हिन्दुस्तान अपनी युवा शक्ति का उचित और जल्द उपयोग

क्यों कि जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।

माँ तेरे कदमों में शीस नवाने को जी चाहता है, तुष्टीकरण की राज्नीति करने वालों की नीद हराम करने को जी चाहता है। तुझ पे ये जुल्म देख के रातों को सो नहीं पात हूँ माँ, अंतुले ,कसाब और आतंकवादियों(मुस्लिमों)के सीने पर पैर रख के हुमचाना चाहता हू। माँ तुझ पे जुल्म करने वालों के बारे में १२३६५४७८९९८५४ सबूत दे रहे हैं तेरे बेटे, अपनी माँ पे ये जुल्म कैसे बर्दास्त कर पा रहें है वो। मा मरने से पहले पाकिस्तान जाना चाहता हूँ, मुसर्फ व जरदारी को खत्म करना चाहता हूँ। माँ मुझे इतनी सक्ति दो कि पहले बेटे के नाम पे कलंको को जुतिया सकू, तटस्थ बनने वालों की गाड़ मै मार सकू। मत खुस हो तटस्थ होकर; क्यों कि जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।