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Showing posts from September 24, 2010

धरम

बहस से बड़ी कोई बहस नहीं है ,                                                   धरम से बड़ी कुच्छ की जागीर नहीं है  ! ये दुनिया वालो की बनाई हुई  हस्ती है ,                   इस पर कोई  बहस मुमकिन ही नहीं है  ! क्युकी,धरम से बड़ी कोई ज़ंजीर नहीं  है !

खुदा

      तेरी रहमत का मुझको कोई गिला नहीं है ये खुदा ! तेरे अंदाजे ब्यान के तो कायल हैं हम सभी  ! तेरे इतने करीब होके भी तुझसे दूर क्यु हैं हम ! तेरी इस हसीं अदा से आज भी वाकिफ क्यु नहीं है हम ! ये हम  जानते की सब कुच्छ तेरे रहमो कर्म पे है ! फिर क्यु  आपस में ही  लड़- झगड़ रहे हैं हम ! इसका एहसास तू सबको करा दे ये मेरे मालिक ! तेरे ही बनाये बन्दों में अक्ल  की थोड़ी कमी क्यु है! एक बार फिर से आ कर ये एहसास जगा जा तू ! शायद वो भूली याद फिर से कोई कमाल कर जाये ! और तेरी रोज़ की परेशानियों का कुच्छ हल निकल आये !