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Showing posts from July 11, 2009
संजय जी जन्मदिन पर ढेर सारी बधाइयां। आप जियें हजारों साल। ईश्वर करें आप जीवन में हमेशा आगे बढ़ें और आपका ब्लाग और चमत्कार करे। - विनय बिहारी सिंह

आज संजय सेन सागर का जन्म दिन

10 जुलाई- आज संजय सेन सागर का जन्म दिन हि न्दुस्तान का दर्द के मोड्ररेटर एवम मेरे प्रिय मित्र संजय का आज जन्म दिन है तो सबसे पहले मै फोन पर उन्हे जन्म दिन की खुब खुब बधाई दे आता हू। जन्म दिन का केक तो उन्होने सागर से ही फोन के रिसिवर पर रखा मैने मुम्बई मे मुह मिठ्ठा कर ही लिया । अरे भाईयो और बहनो, आप जिस ब्लोग पर लिखते हो उ़सके कर्ता धरता के जन्म दिन पर कैसे भुल सकते हो ? चलो कोई बात नही, अब मैने याद कर दिया अब यहॉ भाई सजय जी को बधाई जरुर देकर जाओ। आपका केक भी पार्सल कर देगे जी। सजय का सक्षेप परिचय:- 10 जुलाई 1089 मे जन्मा यह बालक बडा ही सस्कारवान, लिखने-पढने का शोक रखने वाला है। इति छोटि उम्र मे आज हिन्दुस्तान का दर्द के ब्लोग के माध्यम से लोगो को अपनी अभिव्यक्ति का मोका दे रहा है। आज हिन्दी ब्लोग जगत मे उभरते हुए प्रतिभावान लेखक सजयजी को जन्म दिन कि बधाई । संजय सेन सागरजी से एक सवाल- हे प्रभु का प्रशन- "जीवन,सपनो एवम लेखन का सामन्जसय कैसे ? सजय सैन का उत्तरः- "मुझे जिंदगी की फ़िक्र नहीं बस फ़िक्र है तो अपने सपनो की अपने माता पिता क

कितने कंटक उग आते हैं--

कितने कंटक उग आते हैं (कारण, कार्य और प्रभाव गीत--यह एक नवीन प्रकार का गीत मैने रचना प्रारम्भ किया है। इसमें कार्य का कारण व उसके प्रभाव का निरूपण किया जाता है ) नीर निराई के अभाव में, भूमि शुष्क,बंजर हो जाती। श्रम संरक्षण रहित धरा पर, कब हरियाली टिक पाती है? पत्र,पुष्प,फ़ल,धान्य नष्ट हो, कितने कंटक उग आते है ॥(१) उचित व्यवस्था नीति नियम बिन, नष्ट सन्सथायें हो जातीं । उचित विचार कर्म से रहित, जन-मन दूषित हो जाता है। भ्रष्ट पतित नीच कर्मों के, कितने कंटक उग आते है ॥(२) उचित नीति ,निर्देश,उदाहरण, बिना,भ्रमित यौवन होजाता । कुमति,कुसन्ग,कुतर्क भाव- युत, नव - पीढी, आवेशित रहती । मानस में अन्तर्द्वन्द्वों के, कितने कंटक उग आते हैं ॥(३) भ्रष्टाचार, अधर्म,अनीति, जब, समाज़ में प्रश्रय पाजाती । तन मन धन से त्रष्त सभी जन, आशंकित निराश हो जाते । जन विरोध के,विविध भाव में, कितने कंट

तस्वीर बदल तो मेरी तुम

तस्वीर बदल तो मेरी तुम मैभी तेरी बन जाऊ चुटकी भर सिंधूर लगा दो॥ मै तेरे रंग में रंग जाऊ॥ अपनी छाप मेरे पर छोडो॥ लगी रहे बस तेरी धुन॥ तस्वीर बदल तो मेरी तुम जो टाक रहे है नज़र गडाए॥ जज़र झुका के जायेगे॥ मेरी तेरी प्रेम कहानी औरो को सुनाये गे॥ लोग समझाने लगेगे अपना नही झेदेगे कोई धुन॥ तस्वीर बदल तो मेरी तुम चटक मटक चहरे पे रहता॥ लोगो को बात खटकती है॥ जी गलियों से मै जाती हूँ॥ ब्याग की बानी चलती है॥ मरने की नौबत न आए तेरी प्यारी प्यारी बातें सुन॥ तस्वीर बदल तो मेरी तुम

बादू काम कई चीज़,,, बबुनी

हे बबुनी बादू बड़े काम कई चीज तोहरे पीछे भागल दुनिया ॥ राजा होय य रंक फ़कीर ॥ हे बबुनी ........... धन दौलत भी बिक जाला..है॥ कहू कहू चले शमशीर॥बबुनी................. तू चाहे तव इज्जत दे दे। तू चाहे तो फटे कमीज़ ..बबुनी तोहरे खातिर दुश्मन मारा ..होहरे खातिर मार मीत॥ बबुनी ॥ तू चाहे तो कुल तर जाए .तू चाहे मागवा दे भीख ...बबुनी होहरे कहले से करू लडाई तोहरे कहने से मारू तीर..बबुनी तेरा स्वाद है बड़ा निराला तू चावल की जैसी खीर... हे बबुनी बादू बड़े काम कई चीज तोहरे पीछे भागल दुनिया ॥

चलते रहते वीर जवान॥

कर्म करना धर्म मानते गर्मी धुप को सहते है॥ तन से आग निकल रही है॥ अपने पथ पर चलते है,, मन में एक आश झलकती कब होगा मेरा पूरा काम॥ अपने को अर्पण किए चलते रहते वीर जवान॥ मरने का डर इन्हे नही है॥ ये है मेरे देश के रक्षक मिट जायेगे देश के खातिर नही बनेगे ख़ुद के भक्षक नाम रखेगे देश का अपने लड़ते लड़ते मर जायेगे॥ ये वीर जवानो की टोली है,, जाते जाते कुछ दे जायेगे॥ भारत देश के रहने वाले इनको तुम प्रणाम करो॥ जान निछवर कर गए है॥ इनको लल्ला सलाम करो॥

बाल गीत पारुल संजीव 'सलिल'

बाल गीत पारुल संजीव 'सलिल' रुन-झुन करती आयी पारुल. सब बच्चों को भायी पारुल. बादल गरजे, तनिक न सहमी. बरखा लख मुस्कायी पारुल. चम-चम बिजली दूर गिरी तो, उछल-कूद हर्षायी पारुल. गिरी-उठी, पानी में भीगी. सखियों सहित नहायी पारुल. मैया ने जब डांट दिया तो- मचल-रूठ-गुस्सायी पारुल. छप-छप खेले, ता-ता थैया. मेंढक के संग धायी पारुल. 'सलिल' धार से भर-भर अंजुरी. भिगा-भीग मस्तायी पारुल. """""""""""""""""""""""""""""""""""""