इस साल मुंबई पर एक फिल्म आ चुकी है और दो आनी बाकी हैं. मजे की बात ये है कि ये तीनों फिल्में महिला निर्देशकों ने बनाई हैं और तीनों की ये पहली फिल्में हैं. मंजुला नारायण का आलेख सेंट्रल मुंबई की संकरी सड़कों पर कार लकड़ी से बनी बालकोनियों वाले भव्य एडवर्ड काल के अपार्टमेंट्स के सामने से गुजरती है. पेड़ों के पत्तों से छनकर आ रही सर्दियों की नर्म धूप 52 साल की सूनी तारापोरवाला के चेहरे को एक सुनहरी आभा प्रदान कर रही है. सूनी सलाम बांबे और मिसिसिपी मसाला सहित कई फिल्मों की स्क्रिप्ट लिख चुकी हैं और बतौर निर्देशिका उनकी पहली फिल्म लिटिल जीजू रिलीज होने के लिए तैयार है. फिलहाल मंजिल है स्लेटर रोड स्थित उनका दफ्तर. अमेरिका में कोई मुहूर्त शॉट नहीं होता मगर हमारे यहां है. अगर काम धीमी रफ्तार से चलता तो हम कहते थे, अच्छा, वो नारियल लाओ हम इमारत की लिफ्ट में दाखिल होते हैं और ये ऊपर की तरफ चल पड़ती है. इसमें लगे लकड़ी के पैनल और कई दूसरी चीजें लिफ्ट के काफी पुरानी होने की ताकीद करते हैं. मैं सूनी से सलाम बांबे की तारीफ और उससे जुड़ी दूसरी घिसी-पिटी बातें करने से खुद को रोकती हूं और लिफ्ट की कलात्