आरक्षण मामले में राजस्थान सरकार को हाईकोर्ट की सलाह बात गुर्जर आरक्षण मामले से शुरू हुई थी लेकिन मामला जब हाईकोर्ट तक पहुंचा तो फिर यह बात केवल गुर्जर आरक्षण की नहीं रही एक संविधान और एक देश के कानून के साथ देश की जनता के हालातों की बात बन गयी , सरकार द्वारा केवल बेवकूफ या फ़िल्मी डाइलोग में कहें के मामू बनाने के लियें गुर्जरों को आरक्षण का कानून बनाया था जिसे हाईकोर्ट ने पहली फुर्सत में बिना पढ़े लिखे लोगों द्वारा बनाया कानू मन कर किनारे पर रख दिया , हाईकोर्ट ने अपने आदेश में राजस्थान सरकार की महत्वपूर्ण विफलताओं की तरफ इशारा किया हे और आरक्षण की नई परिभाषा प्रदर्शित की हे हाई कोर्ट का सीधा सीधा निर्देश हे के बार बार एक हो व्यक्ति को आरक्षण बंद करों और राज्य में सर्वे कराओं के किस जाती के किन लोगों की पिछड़ी स्थित के कारण उन्हें आरक्षण की जरूरत हे हाईकोर्ट ने कहा के जो लोग आरक्षण का लाभ लेकर आज उच्च वर्गीय धनाड्य स्टेट्स वाले बन गये हें आखिर उन्हें आरक्षण की जरूरत क्यूँ हे और उन्हें आरक्षण क्यूँ दिया जा रहा हे , बात साफ हे हमारे देश के संविधान के निर्माण के वक्त