इसे कहते हैं अखबार का सही उपयोग, ऐसे ही नहीं इस अखबार ने दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की कर ली। जी आप बिल्कुल ठीक समझें, यहां बात दैनिक भास्कर की हो रही है। इस अखबार पर हमेशा से ही प्रशासन से साठ-गांठ कर अपना हित साधने के आरोप लगते रहे हैं। जिसके भौतिक उदाहरण है- गरीबों की हड़पी हुई जमीन पर अरबों रूपये का डीबी मॉल, आदित्य एवेन्यू जैसे कई पॉश्ा कॉलोनियां, नमक, कपडों की फैक्ट्री, एफएम, केबल और ना जाने क्या-क्या? यह सब भी केवल अखबार की दम पर, कैसे? आइए आपको इनकी तरक्की का राज बताते है। यह अखबार अपने सर्कुलेशन को बिल्कुल प्रोफेशनल तरीके से भुनाता है। इसीलिए तो इनके कोई भी काम शासन-प्रशासन में अटकते नहीं। जब कभी कोई बड़ा प्रोजेक्ट किसी राज्य में शुरू करना हो तो वहां की सरकार को घेरना शुरू कर देते हैं, इसी के चलते उमा भारती ने प्रेस कान्फ्रेन्स बुलाकर खुले तौर पर इस अखबार की ब्लैकमेलिंग उजागर की थी। उमा जी ने तमाम इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिन्ट मीडिया के सामने भास्कर पर आरोप लगाया था कि उनके किसी भूमि संबंधी विवाद का चूंकि उमा भारती ने समर्थन नहीं किया इसीलिए अखबार में उनकी झूठी खबरें प्रकाशित की ग