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Showing posts from December 30, 2010

आओ मेरे आगंतुक हम स्वागत को तैयार॥है...हम भी तो तेरे यार है..हम भी...

नैके सलवा मा नशा हम छोड़ देबय॥ बिन फ़ोकट बिमारी नहीं लेबय॥ गाल मुह सूख गैले,, होय गहे बुढ़वा ॥ हमका घेर्रावय काल वाला पड़वा॥ दारू गांजा से दूर रहवे ..नैके सलवा मा नशा हम छोड़ देबय॥ सब कुछ देख लीं मज़ा नहीं येहमा॥ बहुत बुरायी होत फंस गए गेह मा॥ सब का शिक्षा ईहे हम देबय॥ नैके सलवा मा नशा हम छोड़ देबय॥ आओ मेरे आगंतुक हम स्वागत को तैयार॥ हम भी तो तेरे यार है हम भी तेरे यार है...

छिद्रान्वेषण---डा श्याम गुप्त ...लर्न बाय फन , रिमी सेन व महा संग्राम...

छिद्रान्वेषण " को प्रायः एक अवगुण की भांति देखा जाता है , इसे पर दोष खोजना भी कहा जाता है...(faultfinding). परन्तु यदि सभी कुछ , सभी गुणावगुण भी ईश्वर - प्रकृति द्वारा कृत / प्रदत्त हैं तो अवगुणों का भी कोई तो महत्त्व होता होगा मानवीय जीवन को उचित रूप से परिभाषित करने में ? जैसे -- न कहना भी एक कला है , हम उनसे अधिक सीखते हैं जो हमारी हाँ में हाँ नहीं मिलाते , ' निंदक नियरे राखिये ....' नकारात्मक भावों से ..... आदि आदि ... । मेरे विचार से यदि हम वस्तुओं / विचारों / उद्घोषणाओं आदि का छिद्रान्वेषण के व्याख्यातत्व द्वारा उन के अन्दर निहित उत्तम व हानिकारक मूल तत्वों का उदघाटन नहीं करते तो उत्तरोत्तर , उपरिगामी प्रगति के पथ प्रशस्त नहीं करते । आलोचनाओं / समीक्षाओं के मूल में भी यही भाव होता है जो छिद्रान्वेषण से कुछ कम धार वाली शब्द शक्तियां हैं। प्रस्तुत है आज का छिद्रान्वेषण ---- -1--- समाचार के अनुसार - एक अच्छा प्रयोग व पहल ---श्री पुरुषोत्तम अग्रव

डा. बिनायक सेन को उम्र कैद के बाद प्रधानमंत्री को नींद कैसे आ रही है?

विरोध प्रदर्शन नहीं होते तो आज जेसिका, प्रियदर्शिनी और रुचिरा के हत्यारे जेल में नहीं होते डा. बिनायक सेन को देशद्रोह के आरोप में उम्र कैद की सजा पर कुछ बुद्धिजीवियों का तर्क है कि यह फैसला कोर्ट का है. कोर्ट की सबको इज्जत करनी चाहिए. अगर आप फैसले से सहमत नहीं हैं तो ऊँची कोर्ट में जाइये लेकिन कोर्ट के फैसले के खिलाफ सड़क पर विरोध मत करिए. उनका यह भी कहना है कि कोर्ट के फैसले के विरोध से देश में अराजकता फ़ैल जायेगी और इसका सबसे अधिक फायदा सांप्रदायिक फासीवादी शक्तियां उठाएंगी. कहने की जरूरत नहीं है कि ऐसे बुद्धिजीवी या तो बहुत भोले हैं या फिर बहुत चालाक. वैसे सनद के लिए बताते चलें कि ठीक यही तर्क देश की दो सबसे बड़ी पार्टियों कांग्रेस और भाजपा का भी है. लेकिन सोमवार को जंतर-मंतर पर बिनायक सेन को सजा देने के खिलाफ आयोजित प्रदर्शन के दौरान अरुंधती ने बिल्कुल ठीक कहा कि सबसे बड़ी सजा तो खुद न्याय प्रक्रिया है. मतलब यह कि डा. सेन दो साल पहले ही जेल में रह चुके हैं. अब हाई कोर्ट में जमानत के लिए लडें और जीवन भर मुक़दमा लड़ते रहें. सचमुच, इससे बड़ी सजा और क्या हो सकती है कि ६१ साल की

लो क सं घ र्ष !: रंगभेदियों ने मंडेला को जेल भेजा था, सू की को तानाशाह ने और अब बिनायक सेन को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र ने

रंगभेदियों ने मंडेला को जेल भेजा था, सू की को तानाशाहों ने और अब बिनायक सेन को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र ने