क मल हासन की फिल्म विश्वरूपम पर प्रतिबंध को लेकर कई स्तरों पर बहस चल रही है। न्यायिक से लेकर बौद्धिक और सामाजिक से लेकर सांप्रदायिक स्तर तक। जिस स्तर पर बात नहीं हो रही है वह है राजनीतिक और व्यावसायिक। जयललिता सरकार का प्रतिबंध सिर्फ मुस्लिमों के आहत होने का मामला है या फिर इसके पीछे राजनीति और धंधा भी है? तमिलनाडु की राजनीति और जयललिता के राजनीतिक मिजाज को समझने वाले कह रहे हैं कि यह फिल्म विश्वरूपम का मामला नहीं फिल्मकार कमल हासन का मामला है। जिसमें न सिर्फ राजनीतिक चालें चली जा रही हैं बल्कि इसमें व्यवसाय के प्यादे भी वार कर रहे हैं। जानकार जो कह रहे हैं उसके अनुसार ये तीन वजहें हैं जिसने विश्वरूपम को कटघरे में खड़ा कर दिया है। सैटेलाइट राइट्स का मामला कमल हासन के करीबी एक पत्रकार का कहना है कि इस फिल्म की मुसीबत उस दिन शुरु हो गई थी जिस दिन कमल हासन ने इसे डीटीएच पर रिलीज करने का ऐलान किया था। इस ऐलान से पहले कमल हासन की फिल्म के सैटेलाइट राइट्स का समझौता जया टीवी से हो चुका था। नाम से जाहिर है कि इस टीवी चैनल का संबंध जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके से है। जया टीवी पर