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Showing posts from November 1, 2009

राम मंदिर निर्माण कैसे होगा?

राम निर्माण कैसे होगा? मंदिर अभी कार्तिक मेले के अवसर पर अयोध्या में मुझे एक संत जी मिले !राम मंदिर के आन्दोलन में बड़ा बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था उन्होंने ,बातो के सहज क्रम में मैंने उनसे पूछा की मंदिर कब बनवा रहे है !सुनते ही वह भड़क गए विश्व हिन्दू परिषद् व भाजपा पर उन्होंने जम कर भडास निकाली !बोले सब धोखेबाज है,मंदिर का पैसा खा गए !इन लोगो ने भोले भले हिन्दुओ के विश्वास के साथ छल किया है !वे संत जी तो अपना गुबार निकल कर चले गए मगर मामला विचारनिए है ! जिस राम मंदिर को भुनाकर भाजपा ने अपने सांसदों की संख्या २ से बढाकर १८२ तक के गयी ,उसी राम मंदिर निर्माण के लिए अब उसके पास सिर्फ लफ्फाजी रह गयी है !जिस राम मंदिर मुद्दे को हिंदुत्व ,भारतीये संस्कृत ,ओर न जाने किन किन चीजों का प्रतीक बताकर विश्व हिन्दू परिषद् देश की सासे १५ साल तक अटकाए रखा उसी राम मंदिर निर्माण के लिए अब उसके पास फंड खत्म हो गया है !कोई मानेगा ?कंहा गयी वो सोने की ईटे ?कंहा गया वो वो सारा फंड जो फ्रिएंड्स ऑफ़ बीजेपी के नाम पर बिदेशो से आया था !दे

लो क सं घ र्ष !: कैसे सैनिटेशनयुक्त हो यह देश ?

इक्कीसवीं सदी में महाशक्ति में शुमार होने के लिए आतुर हिन्दोस्तां के कर्णधारों ने कमसे कम यह उम्मीद नहीं की होगी कि वह एक ऐसे ढेर पर बैठे मिलेंगे जिसमें एक बड़ी त्रासदी के बीज छिपे होंगे। यूनिसेफ-विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक ताजी रिपोर्ट (Saddest stink in the world, TheTelegraph, 16 Oct 2009) इस बात का विधिवत खुलासा करती है कि किस तरह दुनिया भर में खुले में शौच करनेवाले लोगों की 120 करोड़ की संख्या में 66.5 करोड़ की संख्या के साथ हिन्दोस्तां ‘अव्वल नम्बर’ पर है। प्रस्तुत रिपोर्ट अनकहे हिन्दोस्तां की हुकूमत द्वारा अपने लिए निर्धारित इस लक्ष्य की लगभग असम्भव्यता की तरफ इशारा करती है कि वह वर्ष 2012 तक खुले में शौच की प्रथा को समाप्त करना चाहती है। लोगों को याद होगा कि अप्रैल 2007 में यूपीए सरकार के प्रथम संस्करण में ही ग्रामीण विकास मंत्रालय ने यह ऐलान किया था कि हर घर तक टायलेट पहुंचा कर वह पूर्ण सैनिटेशन के लक्ष्य को 2012 तक हासिल करेगी। अपने पड़ोसी देशों के साथ भी तुलना करें तो हिन्दोस्तां की हालत और ख़राब दिखती है। वर्ष 2001 में संयुक्त राष्ट्रसंघ के विकास कार्यक्रम के तहत मानवविकास सूचक

जनता के पैसे पर नेतावो का उत्सव

हैप्पी बर्थ डे "छत्तीसगढ", आज "हमर छत्तीसगढ" ९ साल पूरा कर 10 वे साल में कदम रखेगा. फिर एक बार राजन का परचम लहराएगा, फिर ए़क बार बखानो का पुलिंदा पकडा दिया जायेगा, फिर ए़क बार राज्य के घरो में अँधेरा कर कोठियों को प्रजव्लित किया जायेगा, फिर ए़क बार बाहर से आये महानुभाओं का हम सत्कार करेगे और उपकार सुनेगे, फिर एक बार खेल के मैदानों को गढढो में तबदील कर छोड़ दिया जायेगा, फिर ए़क बार 2.5 करोड़ जनता इसकी तमाश बीन बनेगी. इस तरह आज से छतीसगढ में स्थापना दिवस का ऊलास परवान चढेगा, सात दिन का उत्सव सात करोड़ खर्च और सात महीने से सरकारी कर्मचारी का काम बंद, यही दांस्ता है छग राज्योत्सव की........... सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ http://bhadas4cg.com सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ

आज की रचना: भुज भर भेंटो... नवगीत sanjiv 'salil'

आज की रचना: नवगीत संजीव 'सलिल' फेंक अबीरा, गाओ कबीरा, भुज भर भेंटो... * भूलो भी तहजीब विवश हो मुस्काने की. देख पराया दर्द, छिपा मुँह हर्षाने की. घिसे-पिटे जुमलों का माया-जाल समेटो. फेंक अबीरा, गाओ कबीरा, भुज भर भेंटो... * फुला फेंफड़ा अट्टहास से गगन गुंजा दो. बैर-परायेपन की बंजर धरा कँपा दो. निजता का हर ताना-बाना तोड़-लपेटो. फेंक अबीरा, गाओ कबीरा, भुज भर भेंटो... * बैठ चौंतरे पर गाओ कजरी दे ताली. कोई पडोसन भौजी हो, कोई हो साली. फूहड़ दूरदर्शनी रिश्ते 'सलिल' न फेंटो. . फेंक अबीरा, गाओ कबीरा, भुज भर भेंटो... * Acharya Sanjiv Salil http://divyanarmada.blogspot.com