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Showing posts from October 30, 2009

लो क सं घ र्ष !: बुदबुदाते, खदबदाते, भरे बैठे लोगों को व्यंग्य वार्ता का आमंत्रण

प्रिय साथियो! चलिये समाज की कुरीतियों, विसंगतियों, झूठ व आडम्बर पर प्रहार करें। हमारे औजार हमारी संवेदनाएं, हमारी अनुभूतियां, हमारे अनुभव होंगे और इनको जो धार देगा निस्संदेह वह व्यंग्य होगा। आईये हमसे हाथ मिलाइये और करिए समाज की सफाई; क्योंकि अब ‘व्यंग्यवार्ता’ का शुभारम्भ हो चुका है। संभावित दूसरा अंक पुलिस विशेषांक होगा। कमर कसिए, कलम घिसिए और भेज दीजिए अपनी चुटीली रचनाएं। हम उन सभी का स्वागत करते हैं जिनकी मुट्ठी अभी भी भिचतीं है और जो समाज को सुन्दर, बेहतर और स्वस्थ देखना चाहते हैं..........। शुभकामनओं सहित...! आपका मित्र अनूप मणि त्रिपाठी सम्पादक व्यंग्यवार्ता 24, जहाँगीराबाद मेंशन, हजरतगंज, लखनऊ, उत्तर प्रदेश 09956789394, 09451907315

अशार

क्यो हमसे है वो खफा आजकल उनसे मोहब्बत हुए ज़माना बीत गया । उनके उन्ही अदाओं पर मैं सदके जाऊं महज़ यह लफ्ज़ अब एक फ़साना बन गया । लाख कोशिशों के उनकी चाहते खफगी के बाद अब फिर चाहना उनको मेरा हौसला बना गया । ए खुदा फिर कभी ऐसे मोहब्बत का इम्तिहान मत ले अब इश्क पर फौत होना मेरा ईमान बन गया । अब न होगा किसी और को शामिल अलीम यह मेरी पुरी ज़िन्दगी का अहद बन गया ।

लो क सं घ र्ष !: नोबुल पुरस्कार विजेता नए अर्थशास्त्री ? पुराने ख्यालात की री पैकेजिंग

योरप केंद्रित बुद्धि फिर एक बार उजागर हुई जब स्वेडिस साइंस अकादमी ने अमेरिकी अर्थशास्त्री ऑलिवर विलियम्सन और एलिनर आस्त्राम को इस वर्ष के नोबेल पुरस्कार से नवाजा । सामूहिक संपत्ति और अर्थ प्रबंधन के क्षेत्र में तथाकथित नए सिद्धांत का आविष्कार के लिए इन दोनों अर्थ शास्त्रियो को नोबेल पुरस्कार दिया गया है। यह वैसा ही आविष्कार है, जैसा किसी समय किताब में छापकर स्कूली बच्चों को पढाया जाता था की कोलाम्बस और वास्को डी गामा ने भारत की खोज की, जबकि कोलंबस और वास्को डी गामा के पैदा होने के हजारो वर्ष पहले भी भारत अस्तित्व में था। योरप केंद्रित बुद्धि का यह एक नमूना है की जिस दिन योरापियों को भारत का रास्ता मालूम हुआ उसी दिन को वे भारत का आविष्कार मानते है। सर्विदित है की नेपाल में तुलसी मेहर और भारत में गाँधी जी ने विकेन्द्रित स्वावलंबी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का समेकित सिद्धांत विकसित किया । इसका उन्होंने कई क्षेत्रो में सफल प्रयोग भी किया। इस साल जब गाँधी जी की मशहूर पुस्तक हिंद स्वराज के प्रकाशन के सौ वर्ष पूरे होने की स्वर्ण जयंती मनाई जा रही है, तब स्वेडिस साइंस अकादमी को दो अमेरिकी अर्थशास्त