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Showing posts from January 8, 2009

हाय गाफिल हम क्या करें.....??

हाय गाफिल हम क्या करें.....?? भीड़ में तनहा...दिल बिचारा नन्हा... साँस भी न ले सके,फिर क्या करे...?? सोचते हैं हम...रात और दिन..... ये करें कि वो करें,हम क्या करें...?? रात को तो रात चुपचाप होती है.... इस चुप्पी को कैसे तोडें,क्या करें...?? दिन को तपती धुप में,हर मोड़ पर... कितने चौराहे खड़े हैं हम क्या करें?? सामना होते ही उनसे हाय-हाय.... साँस रुक-रुक सी जाए है,क्या करें?? कित्ता तनहा सीने में ये दिल अकेला इसको कोई जाए मिल,कि क्या करें?? जुस्तजू ख़ुद की है"गाफिल",ढूंढे क्या ख़ुद को गर मिल जाएँ हम तो क्या करें??

अगले जन्म मोहे बिटिया न कीजे

बेटियों को जन्म से पहले ही मार देने के यूं तो आपने कई कहानियां सुनीं होंगी. पर हम आपको जो दास्तां बताने जा रहे हैं. उसे जानकर आप न सिर्फ दंग रह जाएंगे, बल्कि सभ्यता के पर्दे के पीछे छुपे समाज के सच से भी वाकिफ हो जाएंगे. ये कहानी डॉक्टर महिला मीतू खुराना की है, जिसने कोख में पल रही अपनी बेटियों को बचाना चाहा तो जमाना दुश्मन बन गया. मीतू खुराना का कहना है कि मीतू के अनुसार गर्भ के दौरान ही उनके पति, जो खुद पेशे से एक डॉक्टर हैं, ने लिंग परीक्षण करवाया. जब उन्हें पता चला कि उनकी पत्नी के गर्भ में जुड़वां बेटियां हैं तो मीतू के ऊपर गर्भपात का दबाव बढ़ गया. मीतू पर दबाव डाला गया कि वह अपने पेट में पल रही बेटियों का गर्भपात करवा लें, अगर दोनों नहीं तो कम से कम एक बेटी को तो पेट में मार ही डालें. मगर मीतू अपनी बच्चियों को मरने नहीं देना चाहती थीं. यहीं से मीतू की जंग शुरू हुई. मीतू ने ना सिर्फ जुडवां बेटियों को जन्म दिया बल्कि पिछले तीन साल से उनकी परवरिश भी अकेले कर रही है. उन्होंने पति के खिलाफ पीएनडीटी एक्ट के तहत मुकदमा भी दर्ज करवा दिया. जरा सोचिए कि सभ्य समाज की ये तस्वीर कितनी

भारत ने 66 पाकिस्‍तानी कैदियों को रिहा किया

भारतीय सरकार ने 66 पाकिस्‍तानी कैदियों को रिहा कर नए साल में भाईचारे का संदेश दिया है.इन कैदियों को गलत वीजा लेकर भारत में घुसने या फिर वीजा अवधि से ज्यादा समय तक भारत में रहने के कारण गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद अलग-अलग जेलों में रखा गया. गुनाह की सजा भुगत चुके कैदी यह मानते हैं कि अगर दोनों देशों में भाईचारा होता तो इनको ना पिसना पड़ता.मुंबई पर जब आतंकवादी हमला हुआ तो जेल में बंद इन कैदियों की रातों की नींद हराम हो गई थी, एक बार तो ऐसा लगा कि सारी उम्र जेल में ही बितानी होगी लेकिन जैसे ही रिहाई का फरमान सुनाया गया, सभी की आंखों में जिंदगी की चमक आ गई.

पवित्र बाईबल का भारतीय संस्करण लांच किया गया

पहली नजर में यह फोटो कृष्ण भगवान के जन्म की लगती है कि देवकी और वासुदेव उन्हें कंस से बचाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन दरअसल इसमें यीशू मसीह का जन्म दिखाया गया है. ये तस्वीर छपी है बाईबल के भारतीय़ संस्करण में. जिसे मुंबई के सेंटपॉल पब्लिकेशन ने देश में पहली बार बाईबल को भारतीय़ परिवेश में लांच किया है. इसमें सरल भाषा में चित्रों के जरिये बाईबल को समझाया गया है. इसकी खास बात ये है कि इसमें ज्यादातर चित्र भारतीय वेषभूषा में हैं. कहीं हिंदुस्तानी मां की अपने बेटे से आशाएं दिखाई गई हैं तो कहीं रिक्शेवाले को दिखाया है कि वो दुनिया को अन्न पहुंचाता है. लेकिन खुद वो भूखा सोता है.इस बाइबल को लिखने में देशभर के स्कॉलर्स ने बीस सालों तक मेहनत की है. लगभग ढाई हजार पेजों की इस किताब की कीमत ढाई सौ रुपए है और महीनेभर में ही इसकी डेढ़ हजार प्रतियां बिक चुकी हैं.गौरतलब है कि लगभग बीस साल पहले फिलीपींस में बाइबल का स्थानीय संस्करण सबसे पहले लांच किया गया था. उसके बाद से ही बाईबल के भारतीय संस्करण की तैयारियां शुरू कर दी गई थीं.

अनिद्रा इंसान को बना देती है शक्‍की

म हान ब्रिटिश नाटककार विलियम शेक्सपियर ने चार सदी पहले लिखे अपने नाटक मैकबेथ में अनिद्रा का वहम या संदेह के बीच गहरा संबंध बताया था. अब वैज्ञानिकों ने पाया है कि अच्छी नींद की कमी का व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा दुष्प्रभाव पड़ सकता है.लंदन स्थित किंग्स कालेज के अध्ययन में यह पता चला है कि अनिद्रा और संदेह की आदत के बीच सीधा संबंध है. यह अध्ययन जर्नल सिजोफ्रेनिया रिसर्च के नए अंक में प्रकाशित हुआ है. प्रमुख अनुसंधानकर्ता डाक्टर डैनियल फ्रीमेन का कहना है कि हम पहले से जानते हैं कि खराब नींद के बाद हम पूरे दिन तनावग्रस्त रहते हैं. नींद की कमी हमारे विचारों को अस्त व्यस्त बना देती हैं. हमें दुनिया से बेखबर कर देती हैं. दिमाग में वहम या संदेह पैदा होने के लिए यह आदर्श स्थिति होती है. नियमित और अच्छी नींद मानसिक रूप से बेहतर रहने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं.शोधकर्ताओं ने अध्ययन में 300 लोगों को शामिल किया और उनकी नींद के घंटों का विश्लेषण किया. फ्रीमेन ने बताया कि अनिद्रा के शिकार 70 फीसदी लोग वहम या संदेह के शिकार थे. यही नहीं अध्ययन में शामिल 50 प्रतिशत से ज्यादा लोग गंभीर रूप से अनि

तीन ग़ज़लें जैसी ही कुछ.....!!

प्यारे दोस्तों................. नीचे की तीनों पोस्टें आज की मेरी व्यथा हैं....सिर्फ़ मेरी कलम से निकलीं भर हैं....वरना हैं तो हम सब की ही.....जी करता है खूब रोएँ.....मगर जी चाहता है....सब कुछ को....इस जकड़न को तोड़ ही देन.....मगर जी तो जी है....इसका क्या...........दिल चाहता है.....................!! यः आदमी इतना बदहाल क्यूँ है....?? गर खे रहा है नाव तू ऐ आदमी गैर के हाथ यह पतवार क्यूँ है...? तू अपनी मर्ज़ी का मालिक है गर तीरे चारों तरफ़ यः बाज़ार क्यूँ है...?? हर कोई सभ्य है और बुद्धिमान भी हर कोई प्यार का तलबगार क्यूँ है....?? इतनी ही शेखी है आदमियत की तो इस कदर ज़मीर का व्यापार क्यूँ है....?? बाप रे कि खून इस कदर बिखरा हुआ... ये आदमी इतना भी खूंखार क्यूँ है...?? हम जानवरों से बात नहीं करते "गाफिल" आदमी इतना तंगदिल,और बदहाल क्यूँ है ?? ज़हर पी के नीले हो गए....!! लो हमको रुलाई आ गई.....क्या तुम भी गीले हो गए.....?? जिस रस्ते हम चल रहे थे....आज वो पथरीले हो गए....!! शाम से ही है दिल बुझा....पेडों के पत्ते पीले हो गए....!! इस थकान का मैं क्या करूँ....जिस्म सिले-सिले हो गए!! जख्म