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Showing posts from March 1, 2012

राजस्थान हाई कोर्ट के बाहर न्याय में देरी को लेकर एक व्यक्ति के जहर खाने की घटना को गम्भीरता से नहीं लिया तो अराजकता के हालात से नहीं बच सकेंगे हम लोग

राजस्थान हाई कोर्ट के बाहर न्याय के इन्तिज़ार में वर्षों से भटक रहे एक व्यक्ति ने नेराश्य में आकर जहर खाकर अपनी इह लीला समाप्त करने की कोशिश की वेसे तो उसे बचा कर न्याय के मन्दिर के बाहर खुद के साथ यह अन्याय करने के लियें दंड भुगतना पढ़ेगा लेकिन न्याय में देरी के मामले को लेकर ..शीर्ष अदालत के बाहर इस व्यक्ति की इस निराशा ने देश के न्यायालयों में देरी से मिल रहे फ़सलों के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है ........हमारे संविधान में न्याय पालिका ..कार्यपालिका ..संसद तीन स्तम्भ है सभी लोगों पर कहीं न कहीं भ्रष्टाचार और लेट लतीफी के मामले उजागर होते रहे है .............न्याय के मन्दिर भी इससे अछूते नहीं रहे है जजों के खिलाफ महा अभियोग तक लगाये गये है जबकि खुद सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने भ्रष्ट और दागी जजों को नोकरी से निकल कर अपना दामन साफ करने की कोशिश की है ...लेकिन न्याय में देरी और विरोधाभासी न्याय दोनों ऐसे तथ्य है जिन पर न्यायालयों और देश की संसद को विचार करना होगा ..कहते है न्यायालय सुप्रीम है फिर कहते है संसद सुप्रीम है फिर कहते है कार्यपालिका सुप्रीम है व्यवह

कूटनीतिक कोशिशें कामयाब

भारत-ब्रिगेड: पर आपने आलेख देखा कि नार्वे के कब्जे से बच्चों को छुड़ाने के लिए दादा-दादी का धरना दिया गया . प्रवासी दुनिया की ताज़ा पोस्ट में इस बारे में कूटनीतिक कोशिशों की सफ़लता का ज़िक्र करते हुए एक आलेख प्रकाशित किया है.. नार्वे में भारतीय दंपत्ति से अलग किए गए बच्चों को वापस सौंपने में भारतीय कूटनीति ने रंग दिखाना शुरू कर दिया है. ओस्लो की बाल कल्याण सेवा ने मंगलवार को कहा कि देखरेख में लिए गए दोनों बच्चों को वह उनके चाचा को सौंप देगा. मामले को शीघ्र निपटाने के लिए नार्वे पहुंचे भारत के विशेष दूत ने वहां के अधिकारियों से बातचीत की है. वहीं, बाल कल्याण सेवा के फैसले पर बच्चों के दादा-दादी ने खुशी का इजहार किया है. वेबसाइट ‘द लोकल डॉट नो’ के मुताबिक सत्वानगर स्थित बाल कल्याण सेवा की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘दोनों भारतीय बच्चों को उनके चाचा को सौंपने का निर्णय लिया गया है ताकि वह बच्चों को वापस भारत ले जा सकें.’ नार्वे के अधिकारियों के इस फैसले पर भारत में बच्चों के दादा-दादी ने खुशी जताई है. बच्चों को उनके परिवार को सौंपने की मांग को लेकर दादा-दादी ने सोमवार से नई दिल्