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Showing posts from January 28, 2009

लोकनाथ ब्रह्मचारी

विनय बिहारी सिंह लोकनाथ ब्रह्मचारी १८वीं शताब्दी में ढाका (बांग्लादेश) जिले में रहे और विलक्षण संत के रूप में ख्याति प्राप्त की। उस समय ढाका भारत का ही अंग था। उन्होंने वैसे तो कई दुखी लोगों की मदद की। लेकिन एक घटना बांग्लादेश में आज भी याद की जाती है। यह तो कहने की जरूरत नहीं कि सच्चे संत लोक कल्याण के लिए चमत्कार करते रहे हैं। आइए पहले उस विवरण को जानें। उनके बारे में गोपीनाथ कविराज ने लिखा है कि उनके एक सहपाठी ने इस घटना का जिक्र किया था। इस सहपाठी को मलेरिया ने धर दबोचा। वे महीनों खाट पर पड़े रहे। बहुत इलाज हुआ लेकिन बुखार था कि ठीक ही नहीं हो रहा था। वे दिन पर दिन कमजोर होते जा रहे थे। तब किसी ने कहा कि आप लोकनाथ ब्रह्मचारी के पास जाइए। शायद वे कुछ चमत्कार कर दें। मरता क्या न करता। उनके सहपाठी अपने पिता के साथ ब्रह्मचारी के पास पहुंचे। उनके पिता ने कहा- महात्मा जी इस लड़के का बुखार उतर ही नहीं रहा है। लोकनाथ ब्रह्मचारी ने कहा- तो मैं क्या करूं। डाक्टर को दिखाओ। लड़के के पिता ने कहा- बहुत सारे डाक्टरों को दिखाया लेकिन बुखार उतर नहीं रहा है। लेकिन लोकनाथ ब्रह्मचारी चुपचाप बैठे रहे

सुंदर लड़कियां ज्यादा हैं-सैनिक कम, कैसे रुकें रेप

इटली के नेता सिल्वियो बर्लुस्कोनी ने कहा है कि रोम में बलात्कार की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए तीस हजार सैनिकों की नियुक्ति की जाएगी। बर्लुस्कोनी ने कहा कि रोम में बलात्कार जैसे अपराध पर रोक लगाने के लिए 30 हजार सैनिकों को तैनात किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस जोखिम को रोकने के लिए इतनी बड़ी सुरक्षा देना संभव नहीं है क्योंकि हमारे पास उतने सैनिक नहीं हैं जितनी कि सुंदर लड़कियां। उन्होंने कहा कि कुकर्म जैसी घटनाओं पर तब तक रोक नहीं लग सकती जब तक कि जितनी संख्या में सुंदर लड़कियां हों और उतने ही सैनिक मौजूद न हो। पिछले साल दोबारा सत्ता में आये बर्लुस्कोनी की विपक्ष यह कह कर आलोचना कर रहा है कि वह देश को एक पुलिस राज्य में तब्दील कर रहे हैं। इस महीने रोम में हुये बलात्कार के तीन जघन्यतम कांड को विशेष तौर पर निशाना बनाते हुए विपक्ष ने कहा कि सेना के इस्तेमाल से अपराध नहीं रुके हैं। इसका जबाव देते हुये बर्लुस्कोनी ने कहा कि ये घटनाएं तब भी होंगी जबकि किसी भी देश में पूरी तरह सेना का वर्चस्व हो। उन्होंने कहा कि इस जोखिम को रोकने के लिए इतनी बड़ी सुरक्षा देना संभव नहीं है क्योंकि हमारे पास उत

नारी देह, नग्नता और हमारा समाज

संवादघर  ( www.samwaadghar.blogspot.com)  में   नारी की दैहिक स्वतंत्रता व सामाजिक उपयोगिता पर जो बहस चल रही है वह रोचक तो है ही ,  बहुत महत्वपूर्ण भी है । एक ऐसा एंगिल जिससे अभी तक किसी ने इस विषय पर बात नहीं की है ,  मैं सुधी पाठकों के सम्मुख रख रहा हूं  !   बहस को और उलझाने के लिये नहीं बल्कि सुलझाने में मदद हो सके इसलिये  !  नारी देह के डि - सैक्सुअलाइज़ेशन  (de-sexualization)  की दो स्थिति हो सकती हैं ।    पहली स्थिति है  -  जहरीला फल चखने से पहले वाले आदम और हव्वा की  - जो यौन भावना से पूर्णतः अपरिचित थे और शिशुओं की सी पवित्रता से ईडन गार्डन में रहते थे।    ऐसा एक ही स्थिति में संभव है  -  जो भी शिशु इस दुनिया में आये    उसे ऐसे लोक में छोड़ दिया जाये जो ईडन गार्डन के ही समकक्ष हो । वहां यौनभावना का नामो - निशां भी न हो ।   " धीरे धीरे इस दुनिया से भी यौनभावना को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाना है " -  यह भी लक्ष्य हमें अपने सामने रखना होगा ।   यदि यह संभव नहीं है या    हम इसके लिये तैयार नहीं हैं तो दूसरी स्थिति ये हो सकती है कि हम न्यूडिस्ट समाज की ओर बढ़ें और ठीक वैसे