Skip to main content

Posts

Showing posts from May 4, 2009

आज क नेता

भोजपुरी गीत ऊ मर्डर अपहरण के काम करेले। ए ही से दरोगा जी सलाम करेले। कबहूं एमपी हो जाले कबहूं विधायक दिल्ली पटना में मानल जाले बड़ा लायक कइसे कह तानी की आराम करेले। परमोशन, ट्रांसफर नोकरी बेचा ता इंडिया के बहरो बा बैंकवा के खाता नोट पीटी-पीटी के गोदाम करेले। देखिह ए बेरियो एमपी किनाई पांच परिस चले वाला गोरमेंट आई डेमोक्रेसिया के ऊ दुकान करेले। और गीत यहां पढ़ें

Loksangharsha: छवि आ जायेगी

प्यार है , गीत है , साज है जिंदगी । खुशी गुन से लबरेज है जिंदगी । मानता हूँ की तू बेवफा है मगर - फिर भी तुम पर बहुत नाज है जिंदगी ॥ एक विश्वास का सागर है जिंदगी । आंसुओ की सुधा धार है जिंदगी । दर्द की बाँसुरी पर मचलती गजल - टूटे सपनो का अभि सार है जिंदगी ॥ रूप की चांदिनी कुछ निखर जायेगी । लालिमा भी सिमटकर सँवर जायेगी । आप पलकों का परदा हटायें जरा - पुतलियों में मेरी छवि आ जायेगी ॥ डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल ' राही '

Loksangharsha: उदार भेडिया

वसुधैव कुटुम्बकम का नारा शिक्षा संस्थानों धार्मिक संस्थानों में हिंदुवत्व के पैरोकारों ने जगह -जगह लिख रखा है ,उसी के सन्दर्भ में मैं अपनी बात को रख रहा हूँ । उदार चरितानाम वसुधैव कुटुम्बकम का वाक्य विष्णु शर्मा कृत पंचतंत्र लिया गया है । पंचतंत्र की कहानी है की भेडिया खरगोश से कहता है की मेरे नजदीक आ जाओ मुझ से दोस्ती कर लो खरगोश किसी भी कीमत पर भेडिया के पास नही जाना चाहता है तब भेडिया खरगोश से कहता है उदार चरितानाम वसुधैव कुटुम्बकम । उदार चरित्र वाले लोगो का सारा संसार परिवार होता है खरगोश अगर भेडिया के पास जाएगा तो वह तुंरत भेडिया का भोजन हो जाएगा । उसी तरह महात्मा गाँधी से प्रमाण पत्र भी लिया और गाँधी की हत्या भी की जब जरूरत होती है तो आज भी गाँधी का इस्तेमाल गाँधी की हत्या करने वाले लोग करतें है और गाँधी वध भी । गोडसे की किताब गाँधी वध क्यों नामक किताब पूरे देश में बेच कर गाँधी की हत्या को जायज ठहराया जाता है लौहपुरुष सरदार पटेल के विभिन्न संदर्भो का प्रयोग हिन्दुवात्व वाला संगठन करता है लेकिन सरदार पटेल ने उक्त संगठ

जी हाँ ये हिन्दुस्तान ही है

जी हाँ ये हिन्दुस्तान ही है , कश्मीर मे भारत के झंडे को जलाया गया और पकिस्तान के झंडे लहराए गए इसके बाद भी लोग कहेंगे की भावुक मत हो झंडे के जलने से कुछ नही होता , हमें शांत रहना चाहिए ! भावनाओं पे काबू करना चाहिए !!!!!

जब दिल टूट जाता है,,

खुदा करे तुम यूं ही न पहचान पाओ॥ हम तुम्हारे सामने से निकले ,, तुम आँखे छुपाओ॥ हमें पता है क्या होती तकलीफ प्यार की,, तुमने तो दिल मेरा तोडा है,, यही बात एक बार तुम जान जाओ,,

रामविलास पासवान प्रधानमंत्री बन सकते हैं

दिनेश काण्डपाल, एंकर, वॉयस ऑफ इंडिया लोक सभा चुनाव के नतीजे आने में ज़्यादा वक्त नहीं रह गया है। इस वक्त देश की जनता किसी एक पार्टी को तो छोड़िये घठबंधन को भी बहुमत देने के मूड में नहीं है। इसी से अनुमान लगा कर इस चुनाव में प्रधानमंत्री पद के दावेदारों की लिस्ट लम्बी होती जा रही है। सावल ये है कि अगर दलित के नाम पर प्रधानमंत्री पद के दावेदार की बात आती है तो मायावती ही एक मात्र विकल्प हैं। मायावती के सामने सीना ताने राम विलास पासवान भी खड़े हैं। राम विलास पासवान का राजनीतिक अनुभव और उनका धुरंधर तिकड़मी अन्दाज़ उन्हैं मायावती से काफी आगे ले जाता है। माया को भरोसा है संख्या बल पर। अगर बीएसपी की सीटें ज़्यादा आती हैं तो मायावती की दावेदारी पुख्ता होती है, इसके अलावा मायावती के भरोसे की दूसरी चीज़ क्या है? मायावती के अगर अपनी सीटों का दबाव ना बनाये तो वो उम्मीदवारी की रेस में ही नहीं आती हैं। राजनीतिक अनुभव हो या फिर केन्द्रीय स्तर पर राजनीतिक क़द। राम विलास पासवान हर मोर्चे पर मायावती पर भारी पड़ते हैं। राम विलास पासवान तो ऐसे नेता हैं जो विना अपनी पार्टी की ताकत के बड़े बड़े गुण रखते है

Loksangharsha: संसदीय चुनाव और साम्राज्यवाद ..

आज जब दुनिया ग्लोबल गाव बन गई है तो भारत के संसदीय चुनाव में भी साम्राज्यवादी शक्तियों का प्रयास होगा की उनकी कठपुतली सरकार बने।इसके लिये वह हर सम्भव तरीके से हस्तक्षेप करती दिखाई दे रही है । चुनाव में कोई भी राजनीतिक दल यह नही कहता पूंजीपतियों , उद्योगपतियों के हितों लिए कानून बनाएगा । सभी पूंजीवादी दल किसान , मजदूर व मध्यम वर्ग के लिए परेशान है और उनके हितों के लिए कानून बनने के वादे कर रहे है । किसान मजदूर के हितों के लिए आजादी के बाद कानून बनते रहे है । और आज उनकी हालत यह हो गई है कि किसान आत्महत्याएं कर रहे है , मजदूर कारखानों से निकाले जा रहे है । इसके विपरीत उद्योग पतियों के हित में कानून बनाने का वादा न होने के बावजूद हजारो गुना उन्की परिसम्पतियों में वृद्धि हो चुकी है । चुनाव में महंगाई ,बेरोजगारी , बिजली ,पानी ,शिक्षा,स्वास्थ,आवश,भोजन जैसी मूलभूत समस्याएं मुद्दा नही है। कहा यह जाता है की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जनसभा होने से उन्की पार्टी के पक्ष में एक भी मत की बढ

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ : विभ्रम और यथार्थ

आज कल जहाँ देखो संघ के खिलाफ खूब जहर उगला जा रहा है । नई पीढी के समक्ष संघ को फासीवादी और नाजीवादी सोच का बताया जा रहा है । हो सकता है कि यहाँ मुझे भी कुछ लोग इसी सोच का बताएं ! मुझे इस बात का डर नही ,मैं आजतक संघ की शाखाओ में नही गया फ़िर भी संघ के सेवा और सांस्कृतिक कार्यों को पसंद करता हूँ । वैसे यहाँ कुछ भी मैंने अपनी ओर से कुछ नही कहा है । " हिंदुस्तान के दर्द " को बाँटने के भागीदार कुछ चिंतकों की पोस्ट पढ़-पढ़ कर ऐसा महसूस होता है उन्हें समाज को बाँटने में ज्यादा मज़ा आता है । एक विवादित ढांचे और गुजरात दंगों का आरोप संघ परिवार पर लगा कर उसको सांप्रदायिक होने का सर्टिफिकेट दे दिया जाता है । वही बुद्धिजीवी और मीडिया संघ के हजारों समाजसेवा के कार्य को नजरंदाज करती रही है । संघ के सम्बन्ध में सदी के सबसे बड़े धर्मनिरपेक्ष नेता और हमारे बापू "महात्मा गाँधी जी " जिनकी हत्या का आरोप भी संघ पर लगा था , ने १६- ०९- १९४७ में भंगी कोलोनी दिल्ली में कहा था -" कुछ वर्ष पूर्व ,जब संघ के संस्थापक जीवित थे , आपके शिविर में गया था आपके अनुशासन , अस्पृश्यता का अभाव और कठोर ,