पित्तृ दिवस पर : स्मृति गीत / शोक गीत संजीव 'सलिल' * याद आ रही पिता तुम्हारी याद आ रही पिता तुम्हारी... * तुम सा कहाँ मनोबल पाऊँ? जीवन का सब विष पी पाऊँ. अमृत बाँट सकूँ स्वजनों को- विपदा को हँस सह मुस्काऊँ. विधि ने काहे बात बिगारी? याद आ रही पिता तुम्हारी... * रही शीश पर जब तव छाया. तनिक न विपदा से घबराया. आँधी-तूफां जब-जब आये- हँसकर मैंने गले लगाया. बिना तुम्हारे हुआ भिखारी. याद आ रही पिता तुम्हारी... * मन न चाहता खुशी मनाऊँ. कैसे जग को गीत सुनाऊँ? सपने में आकर मिल जाओ- कुछ तो ढाढस- संबल पाऊँ. भीगी अँखियाँ होकर खारी. याद आ रही पिता तुम्हारी... *