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Showing posts from August 25, 2009

कही आप ३५० रु किलो का खड्डा तो नहीं खरीद रहे है ?

मिठाइयों का मौसम है और ऐसे में भला मै आपसे कहू की आप ३५० रु किलो का खड्डा तो नहीं खरीद रहे है ?तो आप हैरान हो जायेगे पर ये सच है की आप १५० से लेकर ३५० या ४५० रु किलो का खड्डा खरीद रहे है अभी भी मेरी बात पर आपको विश्वाश नहीं तो याद कीजिये जब आप किसी दुकान में मिठाई लेने गए हो और आप ने सहज ही मिठाई पसंद की, भावः पूछा और मिठाई ले ली होगी बस फिर क्या खरीद लिया ना आपने ३५० रु किलो में मिठाई की जगह खड्डा .जी हा जिस खड्डे के डब्बे में वह मिठाई रख के वजन की जा रही है उस खड्डे के डब्बे का वजन भी मिठाई के भावः में तुल गया हो सकता है की उसका वजन कही कम भी हो पर सुन्दरता और आकर्षक डिब्बो की बात करे तो उनका वजन १०० ग्राम से लेकर १५० ग्राम तक देखा गया है अब आप ही बताये ? की आप खरीद लिया ना ३५० रु किलो का खड्डा ? जबकि प्रसाशन के निर्देश अनुसार मिठाई अलग से वजन की जानी चाहिए और उसके बाद उसे डब्बे में डाल पैक करना चाहिए लेकिन ये खाद्य विभाग का तोहफा ही है जो हर त्योहार पर या यु कहे की जब भी हम मिठाई लेते है हमें विभाग की ओर से मुफ्त मिल रहा है सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ

लो क सं घ र्ष !: ह्रदय-उपवन में एक बार ,प्रिय ! ........

युग - युग से प्यासे मन का , कुछ तो तुम प्यास बुझाते। ह्रदय - उपवन में एक बार , प्रिय ! अब तो आ जाते॥ प्रतिक्षण रही निहार , अश्रुपूरित में आँखें राहें। मधुर मिलन को लालायित ये विह्वल व्याकुल बाहें ॥ दुःख भरी प्रेम की नगरी में , कुछ मधुर रागिनी गाते । ह्रदय - उपवन में एक बार , प्रिय ! अब तो आ जाते ॥ इस निर्जन उपवन में भी , करते कुछ रोज बसेरा । यहीं डाल देते प्रियवर ! मम उर में अपना डेरा॥ करते हम तन - मन न्योछावर , जीवन - धन - दान लुटाते । ह्रदय - उपवन में , एक बार , प्रिय ! अब तो आ जाते। सेज सजाकर तुम्हें सुलाते , निशदिन सेवा करते। इक टक पलकें खोल , नयन भर तुमको देखा करते ॥ निज व्यथित नयन - वारिधि में , प्रिय ! स्नान कराते । ह्रदय उपवन में एक बार , प्रिय ! अबतो आ जाते ॥ अब पलक - पाँवडे राहो में , नयनो के बिछा दिए है। पग - पग पर हमने प्राणों के , दीपक भी जला दिए है॥ शून्य - शिखर जीवन - पथ हे , मंगलमय इसे बनाते । ह्रदय - उपवन में एक बार , प्रिय ! अब तो

साधना न्यूज़ चैनल पर मामला पंजीबद्ध

आम हो चली मानहानि की प्रक्रिया के विपरीत यह पहला वाक्या है जब किसी रीजनल चैनेल के विरूद्व पुलिस में मामला पंजीबद्ध करने की धटना ने छत्तीसगढ की राजधानी रायपुर में हलचल पैदा कर दी है जिसे लेकर जहा देखो वहा यही बात सुनने मिल रही है की खबर बनाने वाले, आज खुद खबर बन गए, दरसल मामला छत्तीसगढ में संचालित रीजनल चैनेल साधना न्यूज़ से जुडा है जब उन्होंने प्रधनामंत्री रोजगार सड़क योजना के नवपदस्थ मुख्य कार्य पालन अधिकारी ऍम एल हलधर और उनकी पत्नी के बेडरूम अन्तरंग संबंधो की सीडी चैनेल में यह कह कर प्रसारित की की उक्त व्यक्ति खुद की अश्लील सिडी बना मार्केट में बेच रहा है , ४० मिनिट की अन्तरंग अश्लील सिडी के कुछ अंश प्रसारित कर चैनल ने इस बात का भी दावा किया की उक्त ब्लू फिल्म की बहुत सीडी मार्केट में बिक चुकी है और इसे अपराधिक बताते हुए अधिकारी के खिलाफ ब्लू फिल्म बनाने का आरोप लगते हुए कार्यवाही की बात कही. उक्त सीडी के प्रसारण उपरांत अधिकारी ने निकटम थाना क्षेत्र में न्याय की गुहार लगते हुए साजिश , उगाही और अश्लील प्रदर्शन अर्न्तगत मामला पंजीबद्ध कराया है

जवानी(अवधी)

चढी जवानी झटका मारय हिले लागे खूंटा॥ खड़ी अकेली करी ishaaraa ॥ आवा पानी म डूबा॥ पोर पोर म रस भर आवा॥ देहिया ले अंगडाई॥ अबतो उड़े का भागे manwaa॥ बतिया केसे बतायी॥ खडा खडा मुह ताकत बाटेया॥ कैसे कही की हमका लूटा॥ हसी हसी म लार टपके॥ अंखिया भाई बेहाल॥ केहू आय के पकड़ के हमका॥ जम के करत हलाल॥ चढत उमारिया के अन्दर अन्दर॥ लागत जैसे सोता फूटा॥ चढी जवानी झटका मारय हिले लागे खूंटा॥

लो क सं घ र्ष !: लालच की रक्तिम आँखें...

लालच की रक्तिम आँखें , भृकुटी छल बल से गहरी । असत रंगे दोनों कपोल , असी - काम पार्श्व में प्रहरी ॥ मन में मालिन्य भरा है , ' स्व ' तक संसार है सीमित । संसृति विकास अवरोधी , कलि कलुष असार असीमित ॥ सव रस छलना आँचल में , कल्पना तीत सम्मोहन । सम्बन्ध तिरोहित होते , क्रूरता करे आरोहन डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल " राही "