Skip to main content

Posts

Showing posts from November 5, 2009

''हिन्दुस्तान का दर्द'' से जुड़िये

देश की राजनीति को लग चुका है अभिशाप ,गुरु कर रहे है शिष्यों के साथ पाप,अस्पतालों मे हो रही है बच्चों की हेराफेरी,पुलिस को जीने के लिए जरुरी है घूसखोरी,खेलो मे खिलाडियों को रास आ रही है मैच फिक्सिंग , धार्मिक पत्रों के कलाकारों मे बढ रही है किसिंग !जनता से ख़रीदे जा रहे है वोट , संसद मे भी वोट के बदले नोट !देश के इसी तरह के गर्मागर्म मुद्दों पर आधारित ''हिन्दुस्तान का दर्द'' आपको मौका देता है अपनी बात कहने का! तो खामोश मत रहिये अपनी बात कहिये.....अगर आप भी इस ब्लॉग पर लिखना चाहते है तो अपना ईमेल अकाउंट आपके फ़ोन नंबर और पते के साथ हमें-mr.sanjaysagar@gmail.com पर भेजें और अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें-990704843 8 आगे पढ़ें के आगे यहाँ

मट्ठे वाली शहजादी..

भैस चराते प्रेम हुआ था॥ मट्ठे वाली सहजादी से॥ दिल की अपने बात बताती॥ कहती थी हूँ काशी से॥ नैन थे सुंदर रूप राशीला॥ पैर बहुत पथराये थे॥ धुप छाव के सह करके ॥ वह अपनी लाज बचाई थी॥ शर्मीली वह आँखों वाली ॥ मेरे दिल को भाई थी॥ प्यार का हार दिया कंधे पर॥ मट्ठे खूब पिलाई थी॥ मई भी उसपर पागल हो गया॥ बिठा लिया आज़ादी से॥ भैस चराते प्रेम हुआ था..................... मई भूल गया था ख्यालो में॥ घर के लोग जब आए थे॥ बाँध दिया मेरा हाथ पैर॥ उसे गली गली दौडाए थे॥ पता चला न शहजादी का॥ किस बिस्तर पर सोती होगी॥ या तो मेरे प्यार में पागल॥ आहे भर कर रोती होगी॥ आ जाओ हे मट्ठे वाली ॥ हम तुम्हे अपनाए गे॥ तुझे ढूढते तेरे पथ पर॥ काशी तक हम जायेगे॥ सब को मैंने त्याग दिया॥ अब मिलना है वैरागी से॥ भैस चराते प्रेम हुआ था॥ मट्ठे वाली सहजादी से॥ दिल की अपने बात बताती॥ कहती थी हूँ काशी से॥ मट्ठे वाली शहजादी..

जनता ki पुकार..

ला सकते तो वापस ला दो॥ उस सच्ची सच्चाई को॥ भ्रष्टाचार को भंग कर दो॥ कुछ कम कर दो महगाई को॥ घपले पर घपला कब तक होगा॥ कब तक भूखे मरेगे लोग॥ कब तक आबरू लुटती रहेगी॥ कब तक रहेगा कुरिया में शोक॥ दिन दुपाहरे लुटे खजाना ॥ बंद करो ढिठाई को॥ कब तक रारी रार करेगे॥ कब जायेगी अन्याय की डोर॥ कब आयेगा न्याय का मौसम॥ कब नाचेगे आँगन में मोर॥ ऐसा नियम बना दो दाता॥ छुए न लोग बुराई ॥ भ्रष्टाचार को भंग कर दो॥ कुछ कम कर दो महगाई को॥

लो क सं घ र्ष !: संप्रभुता से समझौता नहीं - उत्तरी कोरिया - अन्तिम भाग

अमेरिका को धीरे-धीरे ईरान की ओर बढ़ता देख, उत्तरी कोरिया को यह समझने में मुष्किल नहीं हुई होगी कि बुष की बनायी शैतान त्रयी में ईरान के बाद अगला क्रम किसका है। और जब बचाव का कोई रास्ता न समझ में आये तो आक्रामकता ही बचाव का अंतिम संभव हथियार बचती है। बेषक उत्तरी कोरिया के इस कृत्य से कोरियाई खाड़ी और पूर्वी एषिया में तनाव बढ़ा है और अमेरिका को अपनी पूर्वी एषिया में मौजूदगी बढ़ाने का बहाना भी मिला है, लेकिन उत्तरी कोरिया अगर परमाणु परीक्षण नहीं करता तो कौन सा अमेरिका उसे बख़्ष रहा था। 21वीं सदी की भीषणतम बाढ़ और उसके बाद आने वाली भुखमरी और अकाल जैसी परेषानियों से जूझते देष को 1985 से हाल-हाल तक सिर्फ़ मदद के वादे से बहलाया ही तो है अमेरिका ने। उधर सीआईए और अमेरिकी राजनीतिकों का ये कहना जारी रहा है कि उत्तरी कोरिया एक बदमाष देष (रोग स्टेट) है। अमेरिका उत्तरी कोरिया पर यह दबाव डालता रहा कि वो अपना मिसाइल कार्यक्रम बंद कर दे ताकि उस पर से प्रतिबंध हटाये जा सकें और उत्तरी कोरिया का कहना था कि प्रतिबंध हटाना 1994 के एग्रीड फ्रेमवर्क समझौते में निहित है फिर ये नयी शर्त क्यों। उधर उत्तरी कोरिया को जिस