साध्वी नहीं, कटघरे में है एटीएस पहली बार हिंदू आतंकवादी गिरोह का भंडाफोड़ कर इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने के मंसूबे पालने वाला महाराष्ट्र पुलिस का आतंकवाद निरोधी दस्ता अब अपने ही बुने जाल में फंसता जा रहा है। यही कारण है कि एटीएस अब वैज्ञानिक जांच के नतीजों को अवैज्ञानिक और भोथरे दलीलों से झुठलाने की कोशिश कर रहा है। गौर करने की बात ये है कि जिस मालेगांव विस्फोट में साध्वी को दोषी ठहराया जा रहा है वह पहली घटना नहीं है. इसके पहले भी 2006 में मालेगांव की मस्जिद के बाहर विस्फोट हो चुका है, जिसमें कई लोग मारे गए थे। इस विस्फोट की जांच भी महाराष्ट्र पुलिस ने की थी लेकिन उसकी जांच पर जब सवालिया निशान लग गया तो जांच सीबीआई को सौंप दी गई। पिछले तीन साल से सीबीआई की स्पेशल टास्क फोर्स इसकी जांच कर रही है। ये वही स्पेशल टास्क फोर्स है, जिसने 1993 के मुंबई बम धमाकों की जांच की थी और इसी जांच के आधार पर इसके लिए लगभग 117 आरोपियों की मुंबई की विशेष अदालत ने सजा भी सुना दी। लेकिन अभी तक मालेगांव विस्फोट की जांच का कोई नतीजा नहीं निकला है। इसी साल जून महीने में मैंने जब सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी