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Showing posts from November 3, 2008

साध्वी नहीं, कटघरे में है एटीएस

साध्वी नहीं, कटघरे में है एटीएस पहली बार हिंदू आतंकवादी गिरोह का भंडाफोड़ कर इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने के मंसूबे पालने वाला महाराष्ट्र पुलिस का आतंकवाद निरोधी दस्ता अब अपने ही बुने जाल में फंसता जा रहा है। यही कारण है कि एटीएस अब वैज्ञानिक जांच के नतीजों को अवैज्ञानिक और भोथरे दलीलों से झुठलाने की कोशिश कर रहा है। गौर करने की बात ये है कि जिस मालेगांव विस्फोट में साध्वी को दोषी ठहराया जा रहा है वह पहली घटना नहीं है. इसके पहले भी 2006 में मालेगांव की मस्जिद के बाहर विस्फोट हो चुका है, जिसमें कई लोग मारे गए थे। इस विस्फोट की जांच भी महाराष्ट्र पुलिस ने की थी लेकिन उसकी जांच पर जब सवालिया निशान लग गया तो जांच सीबीआई को सौंप दी गई। पिछले तीन साल से सीबीआई की स्पेशल टास्क फोर्स इसकी जांच कर रही है। ये वही स्पेशल टास्क फोर्स है, जिसने 1993 के मुंबई बम धमाकों की जांच की थी और इसी जांच के आधार पर इसके लिए लगभग 117 आरोपियों की मुंबई की विशेष अदालत ने सजा भी सुना दी। लेकिन अभी तक मालेगांव विस्फोट की जांच का कोई नतीजा नहीं निकला है। इसी साल जून महीने में मैंने जब सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी
बाल-कहानी परी का प्यार एक गांव में किसान रहता था जिसका बहुत ही सुखी परिवार था। उसकी पत्नी और आठ साल की बेटी मोहनी बडे आराम से रहती थी। अचानक एक दिन किसान की पत्नी का स्वास्थ्य बिगड़ गया। किसान ने खूब इलाज कराया यहां तक की उसके खेत भी बिक गये पर इलाज में कोई लाभ नहीं हुआ और एक दिन वही हुआ जिसका किसान को डर था। एक दिन किसान की पत्नी का देहांत हो गया। अब तो जैसे किसान के उपर आसमान टूट पड़ा ।अब तो उसे मोहनी की फिक्र होने लगी । दिन भर किसान को दूसरों के खेत में मजदूरी करनी पड़ती थी और रात को स्वयं ही भोजन बनाना पड़ता था। यह सब देखकर मोहनी को बड़ा ही दुख होता था उसे लगने लगा की अब उसे भी काम सीख लेना चाहिए लेकिन उसकी उम्र बहुत कम थी। मोहनी काम सीखने लगी वह बहुत ही परेशान होती थी ।यह सब देखकर एक परी को बहुत ही दया आती थी। उसने सोचा हो ना हो अब मुझे मोहनी की मदद करनी ही होगी। एक दिन परी किसान के जाते ही मोहनी से मिलने जा पहुंची और मोहनी से मीठी मीठी बातें कर दोस्ती कर ली और कहा की मैं तुम्हारे सारे काम कर दिया करूंगी पर हॉ एक बात हैं ही ये सब बातें तुम अपने पिताज