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गांधी की हत्या का सच छापना महंगा पढ़ा

भारत के राष्ट्रपति महात्मा गाँधी की हत्या में शामिल रहे अलवर महाराजा तेजसिंह और प्रधानमन्त्री को महात्मा गाँधी की हत्या के मामले में सहयोगी होने के कारण उन्हें नजरबंद रखा गया था इस सच को पिछले दिनों कोंग्रेस के दो वर्ष पुरे होने पर अलवर प्रशासन ने एक पुस्तिका में प्रकाशन किया था जिसे अलवर के ऐ डी एम ने सम्पादित किया था वर्तमान में अलवर के सांसद जितेन्द्र सिंह राहुल गाँधी के निकटतम होने से राजस्थान सरकार पर हावी हे और अलवर के आरोपित महाराजा के पोते भी हे , बस इसी लियें इस सच को जिसे कोंग्रेस के मंत्री बृजकिशोर शर्मा ने पत्रकारों के सामने स्वीकार था और एतिहसिकी तथ्य कहा था उसे तुरंत पलट दिया गया यह सच दूर तक नहीं पहुंचे इसलियें प्रकाशित किताब को प्रतिबंधित कर दिया गया और इस पुस्तक को प्रकाशित करने वाले ऐ डी एम को अलवर से हटा कर सज़ा के तोर पर ऐ पी ओ कर दिया गया अब हुई ना मजेदार बात किसी शायर ने कहा हे के : यह झुन्ठों और मक्कारों की महफिल हे , सच बोले तो तुम भी निकाले जाओगे अगर जितेन्द्र सिंह राहुल के नजदीक नहीं हते तो आज उनके दादा का सच जनता के सामने होता और गाँधी के हत्यारे के सहयोगी नहीं होते तो भाजपा अब तक ना जाने क्या क्या बखेड़ा कर देती । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा