मै गम बेचता हूँ...बोले खरीद लो गे॥
जुदाई गम तन्हाई गम बिदाई गम॥
क्या तुम भी समेट लोगे॥ ?
गरीबी का दम लिए सड़क पे दौड़ता हूँ॥
क्या तुम भी दौड़ लोगे॥?
लोगो के के सामने हाथ फैलाता हूँ॥
क्यों तुम फैला देगे॥
सरकारी बाबुओ को हफ्ता भी देना पड़ता है...
क्यों तुम उन्हें दोगे॥?
छूंछ पैर दोपहर धुप में दौड़ता हूँ॥
क्या तुम भी दौड़ लोगे॥
अपना नहीं है कोई सड़क पे लेटता हूँ॥
क्या तुम लेट लोगे॥
मै गम बेचता हूँ...बोले खरीद लो गे॥
सुन्दर शब्द रचना ।
ReplyDeletesaeya vachan...........
ReplyDeletethankyou sir,
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