मै मयूर मगन हो देख रहा था॥
जो उपवन में नाच दिखाता था॥
रिम-झिम रिम-झिम बारिश होती॥
मेढक तान लगाता था॥
संग सहिलिया रास रचाती॥
मोर मगन मुस्काता था॥
उसी समय कोयल की बोली॥
मन मेरा हर्षाती थी॥
अपनी प्रिया के गम में डूबा॥
आँखे आंसू बरसाती थी।
मन थोड़ा उदास हुआ था॥
अपनी कमी टटोला था॥
रिम-झिम रिम-झिम बारिश होती॥
मेढक तान लगाता था॥
मेढक तान लगाता था॥
तभी पवन रस डोली थी॥
कानो में मेरे बोली थी॥
राह निहार रही तेरी जोगन॥
कानो में आभा बोली थी।
अन्द्कार अब दूर होगया॥
मन जगा उजाला था॥
रिम-झिम रिम-झिम बारिश होती॥
मेढक तान लगाता था॥
मेढक तान लगाता था॥
बेहतरीन!
ReplyDeletethankyou sir G ,,,,
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