जल की सुरक्षा
हमारी ज़िम्मेदारी
हमारी ज़िम्मेदारी
हम हिन्दुस्तानियों का ये फ़र्ज़ है कि हम पानी को बेजाँ खर्च न करें और न ही नदियों वगैरह को गन्दा करें. पानी बहुत अनमोल है. इसी पानी से हम जिंदा है और मैं, सन् 2005 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति जनाब ऐ. पी. जे. अब्दुल कलाम द्वारा तैयार करी गई एक प्रेजेंटेशन यहाँ हाज़िर कर रहा हूँ. आप इस प्रेजेंटेशन को बड़े इत्मिनान से और दिल और दिमाग दोनों से देखिये और उसके बाद ख़ुद अपने मन से पूछिये.....आप अपने लिए क्या कर चुके है और क्या कर रहें हैं?
हर प्रकार की प्रसंशा उस ईश्वर के लिए है जिसमे उसने अपने अन्तिम ग्रन्थ कुरान में फ़रमाया- "हमने पानी से हर जीवित वस्तु को जीवन प्रदान किया" (अल-अम्बिया 30)
वास्तव में मानवों पर ईश्वर के उपकारों में से एक महान उपकार पानी है जैसा की पवित्र ग्रन्थ कुरान में ईश्वर का कथन है-
"फ़िर क्या तुमने उस पानी को देखा जिसे तुम पीते हो? क्या उसे बादलों से तुमने बरसाया अथवा बरसाने वाले हम हैं? यदि हम चाहें तो उसे अत्यंत खारा बना कर रख दें फ़िर तुम कृतज्ञता (शुक्र) क्यूँ नही करते" (अल-वाकिया 67-70)
"फ़िर क्या तुमने उस पानी को देखा जिसे तुम पीते हो? क्या उसे बादलों से तुमने बरसाया अथवा बरसाने वाले हम हैं? यदि हम चाहें तो उसे अत्यंत खारा बना कर रख दें फ़िर तुम कृतज्ञता (शुक्र) क्यूँ नही करते" (अल-वाकिया 67-70)
पानी मानव के जीवन व्यतीत करने वाली चीजों में एक बहुमूल्य चीज़ है जिसका अनुभव छोटा बड़ा हर एक करता है. यह ऐसा उपकार है जिससे कोई भी चीज़ निर्लोभ नही हो सकती चाहे मनुष्य हो अथवा पशु अथवा पेड़-पौधे, खाने की चीज़ बनानी हो या पीने की, परिशुद्धता प्राप्त करनी हो या दवा बनाने की, कारीगरी हो या खेती बाड़ी का काम पानी के बिना यकीनन सम्भव नहीं.
इंसानियत चाहे कितनी भी तरक्की कर ले या तरक्की रुक जाए परन्तु वास्तविकता यह है कि पानी की ज़रूरत प्रतिदिन बढती ही जा रही है तथा हर ओर जल की सुरक्षा और बचत की परिचर्चाएं हर ओर हो रहीं है. पानी हर देश का मूल अर्थ और देश के विकास का आधार होता है उसकी उपलब्धि से मानवता प्रगति करती है जबकि उसके कम होने से बहुत साडी कठिनाईयों और आपदाओं का सामना करना पड़ता है. आज हर एक व्यक्ति पानी का दुरूपयोग कर रहा है. स्नानागार, शौचालय, घर और खेती तथा बागीचे की सिंचाई आदि में पानी की खपत ज़रूरत से ज्यादाः मात्रा में हो रही है.
अतः हम पर अनिवार्य है कि हम सब एक होकर जल कि सुरक्षा करें. उसे बेकार नष्ट न करें क्यूंकि किसी भी वस्तु का दुरूपयोग दरिद्रता और निर्धनता का कारण होता है.
lagta hai aap sabo ki mansha sudhar rahi hai .......... sahi mudda uthaya hai ......
ReplyDeleteआपकी बात जन जन तक पहुंचे यही चाहूँगा !
ReplyDeleteअच्छा सन्देश !
जयराम जी मंशा तब भी ठीक थी अब भी ठीक है बस फर्क है समय का !
ReplyDeleteअब समय है इन मुद्दों का!