लोग कहते है , सुना है , देखा है , की जनसँख्या हमारे देश के लिए अभिशाप है बिल्कुल सत्य है इससे हमारी और देश की आर्थिक स्थिथि को कमज़ोर करने इस अभिशाप का बहुत बड़ा हाथ है लेकिन क्या करें हमारा अगर कोई विश्व में कोई रिकॉर्ड है तो हमारी बढती हुई जनसँख्या चलिए किसी चीज़ में हम पूरी दुनिया में जाने जाते है , यह सत्य है जहा जिस देश में ज़्यादा आबादी होगी उस देश में कई परकार के मसले उठ खड़े होंगे और यह हम आज भी महसूस कर रहे है जहा देखो वही भूखमरी , गरीबी, शोषण , जीवनयापन आदि के लाले पड़े हुए है , खैर इन सब से बढ़कर हमारे देश की सबसे बड़ी कोई कठिनाई है तो बढती हुई बेरोज़गारी , जी हाँ बेरोज़गारी ।
बेरोज़गारी यह एक ऐसा अभिशाप है जिसके मध्यम से यह सभी कठिनाई आती है जैसा हमने ऊपर कहा है , आज बेरोज़गारी दिन बा दिन अपने पैर जमाने में कामयाब होता जा रहा है हर कोई इस के गह्रीले भंवर में कसता वो फंसता चला जा रहा है , जहा भी सर उठाओ वह बेरोज़गारी की लाइन लगी हुई है यह तो पहले भी था की हमें नौकरी के लिए कितने जातां करने पड़ते थे , लेकिन आज उससे लाख कही बेरोज़गारी अपने पैर को और मज़बूत दिख रहा है कारन स्पष्ट है " मंदी " यह वो बिमारी जिसके चपेट में आने से पुरी दुनिया अपनी आंसू बहा रहा है , लोग जो रोज़गार है उनको भी अपनी रोज़ी रोटी से धोना पड़ रहा है क्योकि मंदी आर्थिक रूप से डेस्क की अर्थवयवस्था के ढांचे को बुरी तरह से ज़ख्मी कर रहा है जिससे बेरोज़गारी और तेज़ी से अपने पैर पसर रही है , आज चाहे कितना भी बन्दा कितना भी जानकार हो उसकी कोई भी महत्व नही है कारन मंदी का अधिक रूप से बढ़ते ही जाना है लेकिन कब तब हम इस मंदी के कारन इस व्यापक बिमारी से झूझते रहेंगे कब तक...
उम्मीद जवाब दे रहा है हौसला पस्त पड़ते जा रहा है इस भयावह वो जटिल मंदी की वजह साड़ी जानकारी धरी धरी की रह जा रही एक रद्दी कागज़ के टुकड़े की तरह , अगर जल्द अज जल्द हम इस मंदी का कोई हल निकल नही पाये , बहुत जल्द हम अपनी आंखों से ख़ुद को और दूसरों को भूख और गरीबी घुटन में तिल तिल मर रहे होंगे यह सिर्फ़ हमारे देश ही नही बल्कि पूरे विश्व में ऐसा देखने वो सुनने को मिलेगा , हर तरफ हाहा कार होगा , गरीबी होगी , भूखमरी होगी , बेरोज़गारी होगी , और सबसे ज्यादह शोषण का बोलबाला होगा हर कोई घुट घुट कर मर रहा होगा , इसलिए हमारे देश की सरकार को चाहिए और बेरोज़गारी और मंदी अपना पैर पसार नही पाये उससे पहले निबटने के लिए तत्पर हो ताकि उसका अच्छी तरह से उसपर विजय पाया जा सके ,
एक बार अगर हम बेरोज़गारी पर विजय प् लिया समझो हमने बेरोज़गारी होने वाले और दूसरे को उसके मुंह में जाने से रोकने में हम सफल हुए काश हमारी सरकार इस तरफ कोई कदम उठाये ताकि मंदी के इस दौर और दूसरे बन्दे को अपनी रोज़ी रोटी से हाथ धोना न पड़े , और वो सदेव खुशाली और अच जीवन यापन लाने में कामयाब हो सके , जागिये राजनेता जागिये ताकि देश का उद्धार कभी तुम जैसे राजनेताओ ने किया अब तुम्हे मौका मिला है लोगो की ज़िन्दगी सवारने का उनकी ज़िन्दगी खुशाल बनाने का इसी बहने कुछ पुण्य कमाने का औसर मिला है इसको कीजिये ताकि हमारे देश की जनता जो मंदी के इस दौर से गुज़र रही है उनमे भी साहस आजाये और फिर उनमे जीने की तम्मान्ना जाग उठे , एक नई सुबह हमारी ज़िन्दगी में फिर उगे, खैर हम अपनी तरफ से जो कोशिश होगा इस मंदी से लड़ेगे जिसमे पूरे देश्वाशी तत्पर खड़े है बस वक्त हमारे देश की सरकार के समर्थन का अगर मिल गया तो हम मंदी और बेरोज़गारी जैसे अभिशाप को भगा ही चैन वो अमन लेंगे जिसमे एक खुशाल ज़िन्दगी होगी और सुहाने पल......शुक्रिया ..........................
बेरोज़गारी यह एक ऐसा अभिशाप है जिसके मध्यम से यह सभी कठिनाई आती है जैसा हमने ऊपर कहा है , आज बेरोज़गारी दिन बा दिन अपने पैर जमाने में कामयाब होता जा रहा है हर कोई इस के गह्रीले भंवर में कसता वो फंसता चला जा रहा है , जहा भी सर उठाओ वह बेरोज़गारी की लाइन लगी हुई है यह तो पहले भी था की हमें नौकरी के लिए कितने जातां करने पड़ते थे , लेकिन आज उससे लाख कही बेरोज़गारी अपने पैर को और मज़बूत दिख रहा है कारन स्पष्ट है " मंदी " यह वो बिमारी जिसके चपेट में आने से पुरी दुनिया अपनी आंसू बहा रहा है , लोग जो रोज़गार है उनको भी अपनी रोज़ी रोटी से धोना पड़ रहा है क्योकि मंदी आर्थिक रूप से डेस्क की अर्थवयवस्था के ढांचे को बुरी तरह से ज़ख्मी कर रहा है जिससे बेरोज़गारी और तेज़ी से अपने पैर पसर रही है , आज चाहे कितना भी बन्दा कितना भी जानकार हो उसकी कोई भी महत्व नही है कारन मंदी का अधिक रूप से बढ़ते ही जाना है लेकिन कब तब हम इस मंदी के कारन इस व्यापक बिमारी से झूझते रहेंगे कब तक...
उम्मीद जवाब दे रहा है हौसला पस्त पड़ते जा रहा है इस भयावह वो जटिल मंदी की वजह साड़ी जानकारी धरी धरी की रह जा रही एक रद्दी कागज़ के टुकड़े की तरह , अगर जल्द अज जल्द हम इस मंदी का कोई हल निकल नही पाये , बहुत जल्द हम अपनी आंखों से ख़ुद को और दूसरों को भूख और गरीबी घुटन में तिल तिल मर रहे होंगे यह सिर्फ़ हमारे देश ही नही बल्कि पूरे विश्व में ऐसा देखने वो सुनने को मिलेगा , हर तरफ हाहा कार होगा , गरीबी होगी , भूखमरी होगी , बेरोज़गारी होगी , और सबसे ज्यादह शोषण का बोलबाला होगा हर कोई घुट घुट कर मर रहा होगा , इसलिए हमारे देश की सरकार को चाहिए और बेरोज़गारी और मंदी अपना पैर पसार नही पाये उससे पहले निबटने के लिए तत्पर हो ताकि उसका अच्छी तरह से उसपर विजय पाया जा सके ,
एक बार अगर हम बेरोज़गारी पर विजय प् लिया समझो हमने बेरोज़गारी होने वाले और दूसरे को उसके मुंह में जाने से रोकने में हम सफल हुए काश हमारी सरकार इस तरफ कोई कदम उठाये ताकि मंदी के इस दौर और दूसरे बन्दे को अपनी रोज़ी रोटी से हाथ धोना न पड़े , और वो सदेव खुशाली और अच जीवन यापन लाने में कामयाब हो सके , जागिये राजनेता जागिये ताकि देश का उद्धार कभी तुम जैसे राजनेताओ ने किया अब तुम्हे मौका मिला है लोगो की ज़िन्दगी सवारने का उनकी ज़िन्दगी खुशाल बनाने का इसी बहने कुछ पुण्य कमाने का औसर मिला है इसको कीजिये ताकि हमारे देश की जनता जो मंदी के इस दौर से गुज़र रही है उनमे भी साहस आजाये और फिर उनमे जीने की तम्मान्ना जाग उठे , एक नई सुबह हमारी ज़िन्दगी में फिर उगे, खैर हम अपनी तरफ से जो कोशिश होगा इस मंदी से लड़ेगे जिसमे पूरे देश्वाशी तत्पर खड़े है बस वक्त हमारे देश की सरकार के समर्थन का अगर मिल गया तो हम मंदी और बेरोज़गारी जैसे अभिशाप को भगा ही चैन वो अमन लेंगे जिसमे एक खुशाल ज़िन्दगी होगी और सुहाने पल......शुक्रिया ..........................
सुन्दर लेख और जन जागरण में सहयोग के लिए साधुवाद
ReplyDeletebut the spellings are not properly empowered. You should use the google indic for the same.
ReplyDeletemujhe apka post pasand aya
ReplyDeletewww,aaoladein.blogspot.com
ye post me apne blog pe post kr rha hu.
maha murakh insaan, hindi to sahi se likhta.
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