आज ब्लोगिंग में एक नया ट्रेंड चल पड़ा है । अपने ब्लॉग को हीट कराने के लिए अपशब्दों का प्रयोग करो । बहुत से ऐसे ब्लोगर है जिनको किसी ख़ास विषय पर पकड़ नही होती .... ऐसे लोग जल्दी प्रसिद्धी पाने के लिए गाली -गलौज पर भी उतर जाते है । एक दुसरे पर छीटाकशी करना , पर्सनल आरोप लगाना ऐसे लोगो का हथकंडा हो गया है । कुछ देर के लिए वे फेमस भी हो जाते है पर अंततः उन्हें विलीन ही होना पड़ता है । मै कई दिनों से गौर कर रहा हूँ की ऐसे लोगो की तादाद ब्लोगिंग की दुनिया में बड़ी तेजी से बढ़ रही है ।
यह चिंता का विषय है । किसी आदमी को गाली देना अभिवक्ति की स्वतंत्रता नही हो सकती । आलोचना मुद्दों पर आधारित होनी चाहिए न की व्यक्तिगत आरोप प्रत्यारोप लगाये जाने चाहिए । मुझे लगता है ऐसे लोगो के पास कोई योजना नही है और न ही कोई विचारधारा है । बस भेड़ की तरह ब्लॉग्गिंग करने आ गए है ....खैर यह उनका अधिकार है और उनसे कोई छीन भी नही सकता ...ऐसा होना भी नही चाहिए । पर अच्छा होगा की कुछ मर्यादा का ख्याल रखा जाए नही तो ब्लोगिंग की पहचान खतरे में पड़ सकती है । हमें यह संकल्प लेना चाहिए की ब्लोगिंग की दुनिया को साफ़ सुथरा बनाए रखेगे और ऐसे लोगो को कभी प्रोत्साहित नही करेगे जिनका मकसद केवल सनसनी पैदा करना है ।
स्थिति बड़ी भयावह है , ऐसे ऐसे शब्दों का प्रयोग हो रहा है , जिन्हें बोलने में भी शर्म आती है ...... कुछ शब्द तो बहुत घटिया होते है । कुत्ते , कमीने , हरामजादा , माधरचोद , लौंदियाबाज , साले , हरामी , गांड में मारुगा , सूअर कही के , बेटी चोद , चूतिया कही के ..... बहुत सारे ऐसे शब्द जिनका जिक्र करने में भी मुझे शर्म आती है । और इनका प्रयोग किसी ख़ास व्यक्ति के में सन्दर्भ में भी किया जा रहा है , जो माफ़ी के काबिल नही है ।
मै उन सभी महानुभावों से कहना चाहता हूँ की आप इस तरह के शब्दों का प्रयोग कर महान ब्लोगर या विद्वान् कभी नही बन सकते । अगर ऐसे शब्दों का प्रयोग कर कोई महान बन जाता है तो मुझे नही बनना ऐसा ....मै ऐसी विद्वता को दूर से ही सलाम करुगा । गुमनामी में रहना पसंद करुगा ..वहां मुझे ज्यादा शुकून मिलेगा ।
अगर किसी को मेरी बात अच्छी नही लगी हो तो मै माफ़ी चाहता हूँ पर एक बात तो साफ़ कर दूँ की मैंने जो कहा या लिखा है वह शत प्रतिशत सही है ।
यह चिंता का विषय है । किसी आदमी को गाली देना अभिवक्ति की स्वतंत्रता नही हो सकती । आलोचना मुद्दों पर आधारित होनी चाहिए न की व्यक्तिगत आरोप प्रत्यारोप लगाये जाने चाहिए । मुझे लगता है ऐसे लोगो के पास कोई योजना नही है और न ही कोई विचारधारा है । बस भेड़ की तरह ब्लॉग्गिंग करने आ गए है ....खैर यह उनका अधिकार है और उनसे कोई छीन भी नही सकता ...ऐसा होना भी नही चाहिए । पर अच्छा होगा की कुछ मर्यादा का ख्याल रखा जाए नही तो ब्लोगिंग की पहचान खतरे में पड़ सकती है । हमें यह संकल्प लेना चाहिए की ब्लोगिंग की दुनिया को साफ़ सुथरा बनाए रखेगे और ऐसे लोगो को कभी प्रोत्साहित नही करेगे जिनका मकसद केवल सनसनी पैदा करना है ।
स्थिति बड़ी भयावह है , ऐसे ऐसे शब्दों का प्रयोग हो रहा है , जिन्हें बोलने में भी शर्म आती है ...... कुछ शब्द तो बहुत घटिया होते है । कुत्ते , कमीने , हरामजादा , माधरचोद , लौंदियाबाज , साले , हरामी , गांड में मारुगा , सूअर कही के , बेटी चोद , चूतिया कही के ..... बहुत सारे ऐसे शब्द जिनका जिक्र करने में भी मुझे शर्म आती है । और इनका प्रयोग किसी ख़ास व्यक्ति के में सन्दर्भ में भी किया जा रहा है , जो माफ़ी के काबिल नही है ।
मै उन सभी महानुभावों से कहना चाहता हूँ की आप इस तरह के शब्दों का प्रयोग कर महान ब्लोगर या विद्वान् कभी नही बन सकते । अगर ऐसे शब्दों का प्रयोग कर कोई महान बन जाता है तो मुझे नही बनना ऐसा ....मै ऐसी विद्वता को दूर से ही सलाम करुगा । गुमनामी में रहना पसंद करुगा ..वहां मुझे ज्यादा शुकून मिलेगा ।
अगर किसी को मेरी बात अच्छी नही लगी हो तो मै माफ़ी चाहता हूँ पर एक बात तो साफ़ कर दूँ की मैंने जो कहा या लिखा है वह शत प्रतिशत सही है ।
मार्क राय जी, आपने बिलकुल ठीक कहा!
ReplyDeleteमैं देख रहा हूँ कि आजकल जो ब्लॉग है उनपर खूब अश्लीलता परोसी जा रही है | हालाँकि इससे क्षणिक सफलता तो मिल जाती है मगर इस तरह के ब्लॉग लम्बी रेस में किसी भी गिनती में नहीं आते हैं | ज़्यादातर चिट्ठाकार आपने कथित प्रतिद्वंदी के विरुद्ध खूब सारी गलत बातें लिखते हैं, पहली बार तो पाठक या ब्लॉग का सदस्य इसे थोडा बहुत पढ़ लेता है मगर शीघ्र ही उसका असर उल्टा होने लगता है |
सफलता के शोर्टकट तो बहुत से हैं जो कामयाब भी हैं अर्थात उन कुछ शोर्टकट से ब्लॉग सफल तो हो जाता मगर वह सफलता क्षणिक होती है|
ईश्वर की कृपा से मनुष्य आज विज्ञानं में बहुत आगे बढ़ गया है इसी प्रगति में एक प्रगति ब्लॉग की भी है | हमें इसका इस्तेमाल देश के हित में, समाज के हित में और ऐसे कम में लगाना चाहिए जिससे हम उन्नति करे या कम से कम अच्छा ज्ञान अर्जित करें|
ब्लॉग में वह हो जो अनोखा हो मगर समाज के दायरे में आता हों | आप अपनी बात कह दे और ऐसे कहें कि किसी को ठेस ना लगे |
"मैंने भी अपना ब्लॉग 'स्वच्छ सन्देश: हिन्दुस्तान की आवाज़' एक उद्देश्य के तहत बनाया है और वह उद्देश्य है- इसलाम के बारे में जो गलतफहमियां हमारे समाज में हैं उसको दूर करना और साथ ही साथ भारत देश की दो बड़ी कौमों हिन्दू और मुसलमान को कुछ ऐसा सन्देश देना जिससे कि वह एक ही छत के निचे आ जाये | इस उद्देश्य के साथ यह सपना भी कि अगर हम सब एक छत के नीचे आ गए भारत देश सं २०२० में दुनिया की महाशक्ति अवश्य बनेगा, अवश्य बनेगा |"
तो प्लीज़ आईये हम ऐसी ब्लोगिंग करें, जो हमें जोड़े, ना कि तोडे |
इसी उम्मीद के साथ,
आप सबका चिटठा मित्र
सलीम खान
स्वच्छ सन्देश: हिन्दोस्तान की आवाज़
लखनऊ व पीलीभीत, उत्तर प्रदेश
jee salim jee mai aapake prayaas se kaphi utsahit hoon ...mai aapake muhim me saath hoon .
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