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किलेबंदी के बजाये कांग्रेस की सेंधमारी पर ज्यादा विश्वाश - भाजपा


 विधानसभा के ठीक बाद लोकसभा चुनाव की गहमा गहमी जोर पकड़ने लगी लिहाजा हर राजनैतिक दल ने स्टार  प्रचारक से लेकर गीतों तक हर वो पतैरे अपनाने  में कही परहेज नहीं किया  जिससे जनता को लुभाया जा सके लेकिन चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने "भूली ताहि बिसार दे" का नारा देते हुए कुछ भूले भटको को राह में ला लोकसभा की अग्नि परीक्षा के लिए  खुद को तैयार  कर लिया है वहीं कांग्रेस रणनीतिकारोँ का मानना है की  शोरगुल  स्टार प्रचारको और जय हो के गीतों से लैस संगीत  के चलते जनता उनके  ख़राब राजनैतिक प्रदर्शन को भूल जायेगी.  उन्होंने चावल की महिमा  का कमाल  पिछले चुनाव में देख लिया सो अब वो  उसी  राह में चलने से भी  किसी तरह का कोई परहेज नहीं  कर रही है लेकिन दूसरी बार सिरमौर बने मुख्यमंत्री रामन सिंह ने गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी से  चुनाव् जीतने का गुर सीखा लिया है और फिर से एक रथ यात्रा  के लिए तैयार है 
                           छत्तीसगढ की बात  करे तो छत्तीसगढ में  दो सीट ही सबसे ज्यादा चर्चित है बिलासपुर और रायपुर  , बिलासपुर में दिलीप सिह जूदेव का सीधा मुकाबला श्रीमती रेणु जोगी से है गौरतलब है कि हिन्दू वादी नेता जूदेव का यह जुमला पिछले चुनाव में बहुत लोकप्रिय हुआ था 'नोट खुदा तो नहीं पर खुदा से कम भी नहीं पर अजीत जोगी कांग्रेसी  किले  के  खास सीपहसलार श्रीमती जोगी को बिलासपुर  प्रत्याशी  बनाये जाने के बाद बहुत ही आक्रमक मुद्रा में है .इस तरह श्री जोगी को छोड़ बाकियों की भूमिका केवल संतरी तक ही सीमित है 
रायपुर की बात करे तो रायपुर में रमेश बैस भाजपाई अंगद का रूप ले चुके है  शांत स्वभाव के लिए मशहूर श्री  बैस जिन्होंने ने किसी का भला नहीं किया तो बुरा भी नही , वही काग्रेसी प्रत्याशी भूपेश बघेल जो अपने ही विधानसभा  क्षेत्र  से बुरी तरह परास्त  हो पुनः चुनावी मैदान में है जिनके पास  आपना हारने के लिए कुछ नहीं पर जीत गए तो वाह वाही ही 
                                बहरहाल   प्रत्याशीयों के कारनामे   और राजनैतिक  दल  के हर दिन उभरते नए गठजोड़  उनकी  सत्तासुंदरी  भोग आतुरता को   उजागर कर रहा है पर् छत्तीगढ में  भाजपा के  रणनीतिकार अपनी किलेबंदी करने के बजाये कांग्रेस की सेंधमारी पर ज्यादा विश्वाश कर रहे है                                                                                                                                  

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ग़ज़ल

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