नाम - मनु "बे-तक्ख्ल्लुस"
जन्म - २ मार्च १९६७
पता - उत्तम नगर, नई दिल्ली
लेखन - जाने कब से
भाषा - हिन्दवी
संगीत - भारतीय शास्त्रीय संगीत
ग़ज़लें - मेंहदी हसन, गुलाम अली, बेगम अख्तर
रूचि- पेंटिंग, लेखन, संगीत सुनना
ब्लॉग - manu-uvaach.blogspot.com
ई-मेल - manu2367@gmail.com
खाली प्याले, निचुड नीम्बू, टूटे बुत सा अपना हाल
कब सुलगी दोबारा सिगरेट ,होकर जूते से पामाल
रैली,परचम और नारों से कर डाला बदरंग शहर
वोटर को फिर ठगने निकले, नेता बनकर नटवरलाल
चन्दा पर या मंगल पर बसने की जल्दी फिक्र करो
बढती जाती भीड़, सिमटती जाती धरती सालों साल
गांधी-गर्दी ठीक है लेकिन ऐसी भी नाचारी क्या
झापड़ खाकर एक पे आगे कर देते हो दूजा गाल
यार, बना कर मुझको सीढी, तू बेशक सूरज हो जा
देख कभी मेरी भी जानिब,मुझको भी कुछ बख्श जलाल
उनके चांदी के प्यालों में गुमसुम देखी लालपरी
अपने कांच के प्याले में क्या रहती थी खुशरंग-जमाल
आगे पढ़ें के आगे यहाँ
मनु जी बहुत खूब
ReplyDeleteRealyy very good !!!
ReplyDeleteमनु जी अच्छी रचना
ReplyDeleteमनु जी मन को भाई रचना, खूब कर रहे आप धमाल.
ReplyDeleteकलम-तूलिका दोनों से ही दिखा रहे हैं आप कमाल.
'सलिल' प्रशंसक हुआ आपका, लिखते लय में बिना गिने.
निपुण अंगुलियाँ आँखें मूंदे जैसे स्वेटर मौन बिनें