आजकल फिल्मों में तो लड़कियां (Actresses) उधम करे ही हुए हैं मगर हमारे लोकल समाज में भी अब छोटे कपडे आम होते जा रहे हैं, मुझे तो ऐसा लगता है कि हर गर्मी में लड़कियां पश्चिमी सभ्यता के नज़दीक और करीब आती जा रही हैं और उनके वस्त्रों में अमेरिका और यूरोप की झलक हर गर्मी में बढती ही जा रही है यानि कम के कमतर और कमेस्ट ! हमें नहीं लगता कि यह बीमारी किसी तरह जल्दी ठीक हो पाए लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि अगर हम अपनी ओरिजनल सभ्यता और चलन को अपनाने लगे तो कुछ फायेदा हो सकता है | उन चलन में से एक चलन है- पर्दा !!!
वैसे मैं आपको एक उदहारण से यह बताने की कोशिश करूँगा कि पर्दा करने वाली लड़की और छोटे वस्त्र वाली लड़की में से कौन दुर्व्यवहार को न्योता देगी !!!
"मान लीजिये समान रूप से सुन्दर दो जुड़वां बहाने सड़क पर चल रही हैं| एक केवल कलाई और चेहरे को छोड़ कर परदे में पूरी तरह ढकी हों दूसरी पश्चिमी वस्त्र मिनी स्कर्ट (छोटा लहंगा) और ब्लाउज पहने हो | एक लफंगा किसी लड़की को छेड़ने के लिए किनारे खडा हो ऐसी स्थिति में वह किस लड़की से छेड़ छाड़ करेगा ? उस लड़की से जो परदे में है या उससे जो मिनी स्कर्ट में है? स्वाभाविक है वह दूसरी लड़की से दुर्व्यवहार करेगा! ऐसे वस्त्र विपरीत लिंग को अप्रत्यक्ष रूप से छेड़छाड़ और दुर्व्यवहार का निमंत्रण देते हैं|'
कुरआन बिलकुल सही कहता है कि पर्दा औरतों के साथ छेड़छाड़ और उत्पीड़न को रोकता है| परदे का औरतों को क्यूँ उपदेश दिया जाता है इसके कारण का पवित्र कुरआन की सुरा अल अहज़ाब में उल्लेख किया गया है -
"ऐ नबी! अपनी पत्नियों, पुत्रियों और ईमानवाली स्त्रियों से कह दो कि वे (जब बाहर जाएँ) तो उपरी वस्त्र से स्वयं को ढांक लें | यह अत्यंत आसान है कि वे इसी प्रकार जानी जाएँ और दुर्व्यवहार से सुरक्षित रहें और अल्लाह तो बड़ा क्षमाकारी और बड़ा ही दयालु है |" (कुरआन 33:59)पवित्र कुरआन कहता है कि औरतों को परदे का इसलिए उपदेश दिया गया है कि वे पाकदामनी के रूप में देखि जाएँ और पर्दा उनसे दुर्व्यवहार से भी रोकता है| आगे कुरआन की सुरा निसा में कहा गया है - "और अल्लाह पर इमान रखने वाली औरतों से कह दो कि वे अपनी नज़रें नीची रखें और अपनी पाकदामनी की सुरक्षा करें और वे अपने बनाव श्रृंगार और आभूषणों को ना दिखाएँ, इसमें कोई आपत्ति नहीं जो सामान्य रूप से नज़र आता है| और उन्हें चाहिए कि वे अपने सीनों पर ओढ़नियाँ ओढ़ लें और अपने पतियों, बापों और बेटों...... के अतिरिक्त किसी के सामने अपने बनाव-श्रृंगार प्रकट न करें |" (कुरआन, 24:31)
आम तौर पर लोग समझते हैं कि इस्लाम में पर्दा केवल स्त्रियों के लिए ही कहा गया है | हालाँकि पवित्र कुरआन में अल्लाह ने औरतों से पहले मर्दों के परदे का वर्णन किया गया है-
"ईमानवालों से कह दो कि वे अपनी नज़रें नीची रखें और अपनी पाकदामनी की सुरक्षा करें| यह उनको अधिक पवित्र बनाएगा और अल्लाह खूब परिचित है हर उस कार्य से जो वे करते हैं|" -(कुरआन 24:30)
"उस क्षण जब एक व्यक्ति की नज़र किसी स्त्री पर पड़े तो उसे चाहिए कि वह अपनी नज़र नीची कर ले |"द्वारा-
सलीम खान
स्वच्छ सन्देश: हिन्दोस्तान की आवाज़
लखनऊ व पीलीभीत, उत्तर प्रदेश
बड़ी अच्छी तरह से आपने अपनी बात कही !
ReplyDeleteआपका लेखन अच्छा है
और आपकी खासियत ही यही है की आप अपनी बात को अपने ढंग से और सुन्दर तरीके से कहते है !
निश्चित रूप से सलीम जी आप इस्लाम की बहुत गहरी समझ रखते है क्योंकि आपने जो जो लिखा सच लिखा और अच्छा लिखा
ReplyDeleteआपका काम बहुत ही अच्छा है
बहुत ही अच्छा लिखा है ... विवेचना सहित , आपकी बातों में
ReplyDeleteकुछ तो सच्चाई जरुर है .
पर सवाल तो यह है मियां की लफंगा छेड़े ही क्यों? वही खुद को काबू में रख ले तो छेड़छाड़ बंद हो जाए, फिर तुम भी गर्मी में हाफ पेंट में टहलो और जनानियों को भी टहलने दो.
ReplyDeleteजैसे की, मान लीजिये दो आदमी सड़क पर चल रहे हैं, एक पैदल है, साधारण कपडों में. दूसरा बाइक पर है मंहगे कपडे पहने हुए. सड़क पर लुटेरा किसे अपना शिकार बनाएगा?
भाई मेरा सवाल है की कोई शिकार बनाए ही क्यों, और लुटने जैसी नौबत ही क्यों आये, और कोई लुटेरा हो ही क्यों?
bilkul sahi kaha aapne ki kam kapre me koi ladki cherchar ko jyada aamantrit karegi...lekin sirf is bina par Cher char karne walo ko nahi bakhsha ja sakta...
ReplyDeleteye actually kapro se jyada Maansikata ki baat hai...chherkhani karne wale kare hi kyu? aur kya salwar suit ya sari pahni mahilayo ke sath durvyawhaar nahi hota?? bilkul hota hai...
fir bhi aapka kahna bilkul sahi chote kapro ko waisi jagaho pe jarur avoid karna chahiye jaha un kapro ka prachalan na ho...
bhadkau aur uttejak kapde jismen striyan ardhnagn nazar aati hain aur unke ang jo dhake hone chahiye nazar aate hain, aise men mard apne par kaise qaboo rakh sakte hain, we uttejit to awashya honge. So, sharee ko dhakne wale wastr hi achchhe honge bajaye ke chhote wastr.
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