Skip to main content

लाइव ट्रेलर को भी आप सब प्यार दें.

हिन्दुस्तान का दर्द मंच का निर्माण लगभग 2 साल पहले किया गया था,इसका मुख्य उद्देश्य हिंदी के लेखकों एवं पाठकों को एक ऐसा मंच उपलब्ध करना था जो की रचनात्मकता से भरा हो जो देश की समस्याओं एवं दर्द की बात करता हो,अभी तक अगर दिल पर हाथ रखकर कहूं तो हिन्दुस्तान का दर्द उम्मीदों पर खरा उतरा है लेकिन सारे लक्ष्य अभी यहाँ पूरे नहीं होते,इसके लिए अभी हम सब को मिलकर काफी कुछ करना है और बह हम करके ही रखेंगे.

अब हम बात करते है लाइव ट्रेलर   की यह एक ऐसा ब्लॉग है जिसके माध्यम से हम सिनेमा की ख़बरों को आप तक पहुँचाएँगे लेकिन यह एक सामूहिक ब्लॉग नहीं है यहाँ हम सिर्फ उन लेखकों की बात सुन सकेंगे जो सिनेमा की सार्थकता को एक पूर्णता के साथ कहने की कला रखते हो,सिनेमा के इतिहास और विकास के बारें में गहरी बात बता सकते हो..

आप  लोगों से हम एक और आशा करते है की हिन्दुस्तान का दर्द और लाइव ट्रेलर को अपने ब्लॉग पर जगह दें जिससे की हमारी कोशिश अधिक से अधिक लोगों तक पहुँच सकें..

Comments

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा