''कितना कमजोर है गुब्बारा
चाँद साँसों में फूल जाता है
जरा सा आसमां क्या मिला
अपनी औकात भूल जाता है.''
यह शायरी अभी ''महंगाई डायन खात जात है''गाने वाली भजन मण्डली पर सटीक बैठ रही है.वैश्विकरण एवं प्रतियोगी काल में जहा कलाकार अवसरों के लिए दर दर भटक रहे है और एक मौके के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार बैठे है,वही इस भजन मण्डली ने आमिर खान के मान सम्मान को दौलत के तराजू में तौलकर स्वयं की एवं ग्रामीण स्तर के कलाकारों की एक अनचाही सी छबी को देश के सामने प्रस्तुत कर दिया है.जिससे कही ना कही इस तरह से प्राप्त होने वाले अवसरों में कमी आ सकती है.
खैर भजन मंडली जिस प्रकार की इच्छा रखती थी उसे आमिर खान ने ससम्मान पूरा कर दिया है अब देखना यह है की भजन मण्डली ६ लाख रुपए के साथ कितने समय तक खुद को सुरक्षित महसूस करती है !
गीत की सफलता की बात की जाए तो यह सिर्फ भजन मण्डली का कारनामा ना होकर आमिर खान का प्रस्तुतीकरण एवं उनके जोखिम लेने वाले स्वाभाव का नतीजा है,क्योंकि इससे पहले भी भजन मण्डली ने गीत रचे और गाये लेकिन वो गाँव की मिटटी से पैदा होकर मिटटी में ही दफ़न हो गए.अगर इस गीत को सफलता मिली तो यंहा से इनकी विजयी शुरुआत होने जा रही थी,लेकिन उससे पहले ही इन्होने इसे बाजारूकरण का पायजामा पहना दिया.
फर्श से अर्श तक पहुँचाने वाला हमारा सब कुछ होता है जिसके लिए मान सम्मान हमेशा हमारे दिल में रहता है.शाहरुख़ खान फ़िल्मी दुनिया का ऐसा नाम है जिसके इशारें पर दौलत बरसती है लेकिन इस मुकाम पर होने के बाद भी बह यशराज से ऐच्छिक मेहताना नहीं लेते क्यों की वो जानते है की यह वही शख्स है जिसने बुरे वक़्त में उनका साथ दिया था.
सफ़र के प्रथम पथ पर प्राप्त सफलता पर अभिमान करना आगे की सफलता के लिए घातक होता है,यहाँ पर मुद्दा पैसे का ना होकर नीयत का रूप ले लेता है संभव है आमिर सोच रहे होंगे की इस छोटी सी मण्डली को एक बड़ा मौका देने ही इनका मेहनताना और इनकी ख़ुशी होगी,लेकिन वो दुनिया का उसूल भूल गए की पत्थर को तराशने तक ही जौहरी की कीमत होती है.
हिमेश रेशमिया को सलमान खान ने कई अवसर दिलाए और बाद में उन्हें गुलसन कुमार के सुपुत्र ने भी मदद,एक समय था जब अभिजीत भट्टाचार्य सडकों पर सोते फिरते थे उन्हें रवींद्र जैन ने सहारा दिया,कैलाश खेर महीनो तक स्टेशन की ख़ाक छानते फिरते थे तब जाकर उनको सफलता प्राप्त हुई.आज यह सभी बड़े कलाकार है लेकिन आज भी स्टेज पर स्वयं के लिए मिले अहसानों का व्याख्यान देते नहीं थकते और यकीन मानिए इनके रिश्तों में आर्थिक मुद्दे कभी बाधा नहीं बने.
भजन मण्डली की सफलता हर मायने में अहम् है बस लेनदेन की मुद्दे पर दिखाई गयी स्फूर्ति कई लोगों को शायद पसंद नहीं आई,इस तरह से दिखाई गयी गति में पेट्रोल बनकर काम करने वाली शक्ति मीडिया ही थी जिसने सुनहरे भविष्य एवं हक़ की लड़ाई का नाम देकर इन्हें देश की जनता के सामने खड़ा कर दिया,शायद पिपली लाइव और भजन मण्डली की पब्लिसिटी की आंच में खुद के पापड़ सेकने के लिए....
What a data of un-ambiguity and preserveness of
ReplyDeleteprecious knowledge on the topic of unexpected emotions.
Look at my weblog Le derme luxe review
Howdy! I'm at work surfing around your blog from my new iphone! Just wanted to say I love reading through your blog and look forward to all your posts! Keep up the superb work!
ReplyDeletehow to loss weight