आया था यहाँ जीने॥
अब लुट के जा रहा हूँ॥
कडुई मुहब्बत क्या है॥
तुमको बता रहा हूँ॥
चंचल स्वभाव मेरा॥
सब का दुलारा था॥
दादा दादी का पोता॥
मम्मी पापा को प्यारा था॥
कैसे चढ़ी जवानी ॥
उसको बता रहा हूँ॥
आया था यहाँ जीने॥
अब लुट के जा रहा हूँ॥
चढ़ते जवानी मुझको॥
एक पारी मिल गयी॥
अपना भविष्य सवारने ॥
की कड़ी खुल गयी॥
कैसे हुआ था लट्टू ॥
तुमको बता रहा हूँ॥
आया था यहाँ जीने॥
अब लुट के जा रहा हूँ॥
सीचा था मेरे तन को॥
अब मुरझा रहा हूँ॥
उसने मुझे हंसाया॥
अब आंसू गिरा रहा हूँ॥
आया था यहाँ जीने॥
अब लुट के जा रहा हूँ॥
मैंने भी कदम पे चढ़ के॥
बंसी बजाया था॥
उसके ही दिल में अपनी॥
प्रीति जगाया था॥
वह मुझसे बिछड़ गयी।
जो बीती गा रहा हूँ॥
आया था फ़ोन एकदिन॥
वह माँ बन गयी॥
मुझसे बिछड़ के ॥
किसी दूजे को मिल गयी॥
वह कैसी थी तुम बताओ॥
मै तुम्हे बता रहा हूँ॥
अब लुट के जा रहा हूँ॥
कडुई मुहब्बत क्या है॥
तुमको बता रहा हूँ॥
चंचल स्वभाव मेरा॥
सब का दुलारा था॥
दादा दादी का पोता॥
मम्मी पापा को प्यारा था॥
कैसे चढ़ी जवानी ॥
उसको बता रहा हूँ॥
आया था यहाँ जीने॥
अब लुट के जा रहा हूँ॥
चढ़ते जवानी मुझको॥
एक पारी मिल गयी॥
अपना भविष्य सवारने ॥
की कड़ी खुल गयी॥
कैसे हुआ था लट्टू ॥
तुमको बता रहा हूँ॥
आया था यहाँ जीने॥
अब लुट के जा रहा हूँ॥
सीचा था मेरे तन को॥
अब मुरझा रहा हूँ॥
उसने मुझे हंसाया॥
अब आंसू गिरा रहा हूँ॥
आया था यहाँ जीने॥
अब लुट के जा रहा हूँ॥
मैंने भी कदम पे चढ़ के॥
बंसी बजाया था॥
उसके ही दिल में अपनी॥
प्रीति जगाया था॥
वह मुझसे बिछड़ गयी।
जो बीती गा रहा हूँ॥
आया था फ़ोन एकदिन॥
वह माँ बन गयी॥
मुझसे बिछड़ के ॥
किसी दूजे को मिल गयी॥
वह कैसी थी तुम बताओ॥
मै तुम्हे बता रहा हूँ॥
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर