मै तो बेदाग़ थी तूने दाग क्यों लगाया॥
जब जाना था दूर मुझसे अपना क्यों बनाया॥
अब तनहईया हमें रह रह के तडपाती है...
बीती हुयी वे बाते हमको रूलाती है॥
सूखा चमन पडा था तूने क्यों खिलाया॥
मै तो बेदाग़ थी तूने दाग क्यों लगाया॥
जब जाना था दूर मुझसे अपना क्यों बनाया॥
अब चलती हूँ जब डगर में ताने मारते है॥
मै पहले से थी तुम्हारी सभी जानते है॥
ये होता कैसा यूं प्यार है हमें क्यों दिखाया॥
मै तो बेदाग़ थी तूने दाग क्यों लगाया॥
जब जाना था दूर मुझसे अपना क्यों बनाया॥
आँखों में तुम बसे हो मुझे नींद नहीं आती॥
तेरी राशीली बतिया रात भर जगाती॥
जब करना था घात मुझसे सिन्दूर क्यों लगाया॥
मै तो बेदाग़ थी तूने दाग क्यों लगाया॥
जब जाना था दूर मुझसे अपना क्यों बनाया॥
जब जाना था दूर मुझसे अपना क्यों बनाया॥
अब तनहईया हमें रह रह के तडपाती है...
बीती हुयी वे बाते हमको रूलाती है॥
सूखा चमन पडा था तूने क्यों खिलाया॥
मै तो बेदाग़ थी तूने दाग क्यों लगाया॥
जब जाना था दूर मुझसे अपना क्यों बनाया॥
अब चलती हूँ जब डगर में ताने मारते है॥
मै पहले से थी तुम्हारी सभी जानते है॥
ये होता कैसा यूं प्यार है हमें क्यों दिखाया॥
मै तो बेदाग़ थी तूने दाग क्यों लगाया॥
जब जाना था दूर मुझसे अपना क्यों बनाया॥
आँखों में तुम बसे हो मुझे नींद नहीं आती॥
तेरी राशीली बतिया रात भर जगाती॥
जब करना था घात मुझसे सिन्दूर क्यों लगाया॥
मै तो बेदाग़ थी तूने दाग क्यों लगाया॥
जब जाना था दूर मुझसे अपना क्यों बनाया॥
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर