चाँदनी रात में स्वच्छ बस्त्र धारण कर।
अधरों पर मुस्कान लिए रूप वती॥
देव्वेला में मंदिर की ओर जा रही थी॥
जब मेरी दृष्ट उसपर पड़ी तो मै आकर्षित होने लगा॥
अपनी बलिष्ट भावनाओं में खोने लगा॥
वह मोहनी सूरत सीधे मंदिर में प्रवेश कर गयी॥
हमारी आँखे नज़ारे देख रही थी॥
और मै भावनाओं के अथाह सागर में दुबकी लगा रहा था॥
मन चंचल है रूप स्वरूपा॥
ऐसी नारी देखे नहीं दूजा॥
आखिर वह घडी आ ही गयी॥
वह सीधे हमारी तरफ ही आ रही थी॥
मै अन्दर ही अन्दर गुदगुद हो गया॥
वह मेरे समीप आये और बोली लो प्रसाद खा लो॥
मै उसके कोमल हाथ से प्रसाद लिया और खा गया॥
आगे हमारी और उसकी वार्तालाप पढ़िए॥
मै॥ हे रूप स्वरुप सुंदरी आप कौन है कहा से आती है॥ आप हमें बिस्तार से बताइये॥
नारी॥ मै बेला हूँ जो की मै प्रात: काल गंगा जी के अम्रत सामान जल में स्नान कर के और गंगा जी के जल को इस पात्र में लेके शिव जी के मंदिर में आती हूँ। जो की गंगा जी का जल शिव लिंग पर डालते ही दूध का रूप धारण कर लेता है॥
मै ॥ आप के इस रूप को देख कर मै आप पर मोहित हो रहा हूँ॥ क्या आप हमारे साथ विवाह कर सकती है॥
नारी॥ हां अवश्य कर सकती हूँ लेकिन आप को हमारी शर्त माननी पड़ेगी॥
मै ॥ जरुर मानूगा आप अपनी शर्त बताने की कृपा करे॥
नारी॥ हमारे साथ रहने का मतलब है की बिलकुल स्वच्छ स्वभाव , गुस्से से दूर रहना यहाँ तक की समयानुसार भोग विलास पर पावंदी॥ कोई नशा नहीं किसी पराई नारी को लालच भरी निगाहों से नहीं देख सकते नहीं तो मेरे गुस्से की ज्वाला को जला देगी॥ जिस दिन आप एक सच्चे मानव के शुद्ध आचरण में आयेगे उस दिन मै आप से शादी कर लूगी॥ और इसी मंदिर के बगल नदी के किनारे हमारी कुटिया होगी॥
mai : ठीक मै कोशिश करूगा॥
नारी : ठीक है आप कोशिश करिए फिर मिलूगी॥ नमस्ते॥
मै: पर मै कैसे ये वादा पूरा कर पाऊगा। मै तो एक शराबी , चरसी, ठरकी..बेईमान,,घूश्खोर, चापलूस ,दूसरो का अहित करने वाला, अपने शारीर पर मेल लिए धूमता रहता हूँ॥ मै लफंगा हूँ॥ यही सब सोचते सोचते नींद टूट गयी सुबह हो चुका था॥ और दो दोस्त घर पर आके कहने लगे की आज मज़ा आयेगा। राम्लाल्वा के यहाँ प्रोग्राम है॥
शम्भू नाथ
अधरों पर मुस्कान लिए रूप वती॥
देव्वेला में मंदिर की ओर जा रही थी॥
जब मेरी दृष्ट उसपर पड़ी तो मै आकर्षित होने लगा॥
अपनी बलिष्ट भावनाओं में खोने लगा॥
वह मोहनी सूरत सीधे मंदिर में प्रवेश कर गयी॥
हमारी आँखे नज़ारे देख रही थी॥
और मै भावनाओं के अथाह सागर में दुबकी लगा रहा था॥
मन चंचल है रूप स्वरूपा॥
ऐसी नारी देखे नहीं दूजा॥
आखिर वह घडी आ ही गयी॥
वह सीधे हमारी तरफ ही आ रही थी॥
मै अन्दर ही अन्दर गुदगुद हो गया॥
वह मेरे समीप आये और बोली लो प्रसाद खा लो॥
मै उसके कोमल हाथ से प्रसाद लिया और खा गया॥
आगे हमारी और उसकी वार्तालाप पढ़िए॥
मै॥ हे रूप स्वरुप सुंदरी आप कौन है कहा से आती है॥ आप हमें बिस्तार से बताइये॥
नारी॥ मै बेला हूँ जो की मै प्रात: काल गंगा जी के अम्रत सामान जल में स्नान कर के और गंगा जी के जल को इस पात्र में लेके शिव जी के मंदिर में आती हूँ। जो की गंगा जी का जल शिव लिंग पर डालते ही दूध का रूप धारण कर लेता है॥
मै ॥ आप के इस रूप को देख कर मै आप पर मोहित हो रहा हूँ॥ क्या आप हमारे साथ विवाह कर सकती है॥
नारी॥ हां अवश्य कर सकती हूँ लेकिन आप को हमारी शर्त माननी पड़ेगी॥
मै ॥ जरुर मानूगा आप अपनी शर्त बताने की कृपा करे॥
नारी॥ हमारे साथ रहने का मतलब है की बिलकुल स्वच्छ स्वभाव , गुस्से से दूर रहना यहाँ तक की समयानुसार भोग विलास पर पावंदी॥ कोई नशा नहीं किसी पराई नारी को लालच भरी निगाहों से नहीं देख सकते नहीं तो मेरे गुस्से की ज्वाला को जला देगी॥ जिस दिन आप एक सच्चे मानव के शुद्ध आचरण में आयेगे उस दिन मै आप से शादी कर लूगी॥ और इसी मंदिर के बगल नदी के किनारे हमारी कुटिया होगी॥
mai : ठीक मै कोशिश करूगा॥
नारी : ठीक है आप कोशिश करिए फिर मिलूगी॥ नमस्ते॥
मै: पर मै कैसे ये वादा पूरा कर पाऊगा। मै तो एक शराबी , चरसी, ठरकी..बेईमान,,घूश्खोर, चापलूस ,दूसरो का अहित करने वाला, अपने शारीर पर मेल लिए धूमता रहता हूँ॥ मै लफंगा हूँ॥ यही सब सोचते सोचते नींद टूट गयी सुबह हो चुका था॥ और दो दोस्त घर पर आके कहने लगे की आज मज़ा आयेगा। राम्लाल्वा के यहाँ प्रोग्राम है॥
शम्भू नाथ
vaah.............kyaa khwab hai.
ReplyDeleteसंवाद बढ़िया रहा
ReplyDeletethankyou ma'm ,,vandna ji and sangita ji,,,
ReplyDelete