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पेड़



इंसानों से बड़ा पेड़
                      मगर ज़मी से जुड़ा पेड़ !
इंसानों की खातिर फिर
                       कितने तुफानो से लड़ा पेड़ !
धरती  की भूमि पर .............
                         चित्र सरीखे खड़ा पेड़ !
जाने किसके इंतजार मै ............
                         सड़क किनारे खड़ा पेड़ !
पंडित और मोलवी की बाते सुन
                            पल भर न डिगा पेड़.!..
धूप रोक फिर छाया देकर ........
                          फ़र्ज़ निभा फिर झड़ा पेड़ !
सीने मै रख हवा बसंती
                           आंधी मै फिर उड़ा पेड़ !
खेतो मै पानी लाने को
                           बादल से जा भीड़ा  पेड़ !
फल खाए जिसने उसने ही काटा 
                           जान शर्म से गड़ा पेड़ !
इंसा की जरूरतों को पूरा करते  ...........
                           कटा ज़मी पर पड़ा पेड़ !

Comments

  1. बेहतरीन प्रस्तुति ,बधाई !

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  2. गहन भावों की अभिव्यक्ति !

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  3. पेड़ के प्रति आपकी भाव-पूर्ण कविता सराहनीय है....

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  4. पेड़ की आत्मकथा आपने बेहतरीन तरीके हे कही , बधाई। ,

    ReplyDelete
  5. बेहतरीन प्रस्तुति....

    ReplyDelete
  6. प्रक्रति के प्रति आपका इस कदर प्यार देख कर बहुत ख़ुशी हुई दोस्तों !
    अपना कीमती समय देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया !

    ReplyDelete

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...